"स्टेच्यू स्टेच्यू"...खेलते-खेलते...
पता ही नहीं चला...
कि...कब लोग पत्थर के हो गये...!!
सीख जाओ वक्त पर किसी की
कदर करना...
शायद सैल्फी इस बात का प्रमाण है के हम ज़िंदगी में
इतने अकेले रह गए है
कि हमारे आस पास हमारी फोटो खींचने वाले यार
दोस्त भी नहीं बचे"
पता ही नहीं चला...
कि...कब लोग पत्थर के हो गये...!!
सीख जाओ वक्त पर किसी की
कदर करना...
शायद सैल्फी इस बात का प्रमाण है के हम ज़िंदगी में
इतने अकेले रह गए है
कि हमारे आस पास हमारी फोटो खींचने वाले यार
दोस्त भी नहीं बचे"
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