Saturday, January 9, 2016

उलझने हैं बहुत...
सुलझा लिया करता हूँ ,
फोटो खिंचवाते वक़्त मैं अक्सर...
मुस्कुरा लिया करता हूँ "
क्यूँ नुमाइश करूँ मैं अपने माथे पर शिकन की,
मैं अक्सर मुस्कुरा के इन्हें..
मिटा दिया करता हूँ.."
क्यूंकि..
"जब लड़ना है खुद को खुद ही से
हार-जीत में इसलिए कोई फ़र्क नहीं रखता हूँ
हारूं या जीतूं कोई रंज नहीं
कभी खुद को जिता देताहूँ
कभी खुद से जीत जाता हूँ !!!
सुप्रभात☕

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