बुध्द से किसी ने पूछा..
"कुछ नसीहत कर दीजिये"
उन्होंने अजीब सवाल किया..
"कभी बर्तन धोये हैं?"
उस शख्श ने हैरान होकर जवाब
दिया.. "जी धोये हैं"
उन्होंने पूछा.. "क्या सिखा?
उस शख्श ने कहा ..
"इसमें सिखने वाली बात क्या है?"
बुद्ध ने मुस्कुराकर जवाब दिया..
"बर्तन को बाहर से कम अन्दर से
ज़्यादा धोना पड़ता है..
ठीक इसी तरह इन्सान के शरीर
को कम परंतु उसके मन को
ज्यादा साफ रखना पड़ता है.."
"कुछ नसीहत कर दीजिये"
उन्होंने अजीब सवाल किया..
"कभी बर्तन धोये हैं?"
उस शख्श ने हैरान होकर जवाब
दिया.. "जी धोये हैं"
उन्होंने पूछा.. "क्या सिखा?
उस शख्श ने कहा ..
"इसमें सिखने वाली बात क्या है?"
बुद्ध ने मुस्कुराकर जवाब दिया..
"बर्तन को बाहर से कम अन्दर से
ज़्यादा धोना पड़ता है..
ठीक इसी तरह इन्सान के शरीर
को कम परंतु उसके मन को
ज्यादा साफ रखना पड़ता है.."
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