वो जो कहता था मैं हूँ तेरा हमसाया,
एक बार गया तो लौट कर नहीं आया।
कितने मौसम बदले मेरे सारे गम बदले,
मगर खुशी का कभी मौसम नहीं आया।
एक फूल की ख़ातिर सहरा में आ गया मैं,
कांटे आये हाथों में मगर फूल नहीं आया।
कयामत तक आ गया उसके प्यार में अब,
उसकी मर्जी वो आया आया नहीं आया नहीं आया !!
एक बार गया तो लौट कर नहीं आया।
कितने मौसम बदले मेरे सारे गम बदले,
मगर खुशी का कभी मौसम नहीं आया।
एक फूल की ख़ातिर सहरा में आ गया मैं,
कांटे आये हाथों में मगर फूल नहीं आया।
कयामत तक आ गया उसके प्यार में अब,
उसकी मर्जी वो आया आया नहीं आया नहीं आया !!
No comments:
Post a Comment