चार जानिब कड़ी नज़र रखना
फ़सल पकने को है ख़बर रखना ।
काम आएँगी कल ये तहरीरें
उँगलियों को लहू में तर रखना ।
ख़ाली घर तो बुरा-सा लगता है
ख़्वाब आँखों में कोई भर रखना ।
चाँद तारों से मश्विरा करके
शब की दहलीज़ पर सहर रखना ।
लम्हए-इज्ज़ आनेवाला है
अपने क़दमों पे अपना सर रखना ।
जानलेवा बहुत है बाख़बरी
ख़ुद को थोड़ा-सा बेख़बर रखना ।।
अभी रौशनी का सवाली न हो
हवा इस तऱफ आनेवाली न हो ।
है सबको यहाँ इंतज़ारे-सहर
कहीं बेसबब रात काली न हो ।
मैं वह मुजरिमे-ज़िदगी हूँ कि जो सज़ा काट ले और बहाली न हो ।
समझने लगा हूँ जिसे जाने क्या
कहीं उसकी रौशन-ख़याली न हो ।।
फ़सल पकने को है ख़बर रखना ।
काम आएँगी कल ये तहरीरें
उँगलियों को लहू में तर रखना ।
ख़ाली घर तो बुरा-सा लगता है
ख़्वाब आँखों में कोई भर रखना ।
चाँद तारों से मश्विरा करके
शब की दहलीज़ पर सहर रखना ।
लम्हए-इज्ज़ आनेवाला है
अपने क़दमों पे अपना सर रखना ।
जानलेवा बहुत है बाख़बरी
ख़ुद को थोड़ा-सा बेख़बर रखना ।।
अभी रौशनी का सवाली न हो
हवा इस तऱफ आनेवाली न हो ।
है सबको यहाँ इंतज़ारे-सहर
कहीं बेसबब रात काली न हो ।
मैं वह मुजरिमे-ज़िदगी हूँ कि जो सज़ा काट ले और बहाली न हो ।
समझने लगा हूँ जिसे जाने क्या
कहीं उसकी रौशन-ख़याली न हो ।।
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