Sunday, October 16, 2016

कमाल है ना !!
आखें तालाब नहीं, फिर भी, भर आती हैं !!

दुश्मनी बीज नहीं, फिर भी, बोई जाती है !!

होठ कपड़ा नहीं, फिर भी, सिल जाते हैं !!

किस्मत सखी नहीं, फिर भी, रूठ जाती है !!

बुद्धि लोहा नहीं, फिर भी, ज़ंग लग जाती है है !!

आत्मसम्मान शरीर नहीं, फिर भी, घायल हो जाता है !!

और ...

इंसान मौसम नहीं, फिर भी, बदल जाता है !!..OK

No comments:

Post a Comment