*सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय"*
समय-समय पर लेते रहना चाहिए.....
*पानी के बिना, नदी बेकार है*
अतिथि के बिना, आँगन बेकार है।*
*प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है।*
पैसा न हो तो, पाकेट बेकार है।
*और जीवन में गुरु न हो*
तो जीवन बेकार है।
इसलिए जीवन में
*"गुरु" जरुरी है।*
*"गुरुर" नही"*
समय-समय पर लेते रहना चाहिए.....
*पानी के बिना, नदी बेकार है*
अतिथि के बिना, आँगन बेकार है।*
*प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है।*
पैसा न हो तो, पाकेट बेकार है।
*और जीवन में गुरु न हो*
तो जीवन बेकार है।
इसलिए जीवन में
*"गुरु" जरुरी है।*
*"गुरुर" नही"*
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