Friday, October 28, 2016

पहली बार किसी कविता को पढ़कर आंसू आ गए । 😔😔

दुध पिलाया जिसने छाती से निचोड़कर
मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका । 😭

बुढापे का "सहारा,, हूँ 'अहसास' दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल, पर सुला न सका । 😭

वो 'भूखी, सो गई 'बहू, के 'डर, से एकबार मांगकर
मैं "सुकुन,, के 'दो, निवाले उसे खिला न सका । 😭

नजरें उन 'बुढी, "आंखों से कभी मिला न सका ।
वो 'दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका । 😔

जो हर "जीवनभर" 'ममता, के रंग पहनाती रही मुझे
उसे "दिवाली  पर दो 'जोड़ी, कपडे सिला न सका । 😭

"बिमार बिस्तर से उसे 'शिफा, दिला न सका ।
'खर्च के डर से उसे बड़े अस्पताल, ले जा न सका । 😔

"माँ" के बेटा कहकर 'दम,तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,
'दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका । 😭

माँ तो माँ होती हे भाईयों माँ अगर कभी गुस्से मे गाली भी दे तो उसे उसका "Duaa" समझकर भूला देना चाहिए|✨,, ✨

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