Saturday, October 15, 2016

एक गाँव के बाहर बने
शिवमंदिर मे चार-पाँच गंजेडी
रोज गाँजा पीते थे,
पिछले कई साल से जब भी वो
गाँजा पीते थे तब "बम भोले" का
जयकारा करते थे
चिल्लम की हर फुँक के साथ,
.
.
एक दिन खुद शिव जी उनके इस भक्ति
माध्यम से
प्रसन्न हो गये,
.
वो एक साधारण मनुष्य के रूप मे उन गंजेडीयो के
पास आ कर बैठ गये,
.
गंजेडीयो ने चिल्लम बनाना शुरू किया
तो एक गंजेडी ने शिव जी को
गाँजा आफर किया,
.
प्रायः गंजेडीयो मे मेहमानवाजी
बडे उच्च स्तर की होती है,
इसलिए गंजेडीयो ने पहला चिल्लम
भोलेनाथ को ही दिया,
.
एक फुँक मे ही शिव जी ने पुरा चिल्लम खाली कर
दिया ,
गंजेडीयो को लग गया कि ये कोई उच्च
कोटी का पीने वाला है,
फिर
उन्होने दुसरा चिल्लम बनाया
और फिर पहला मौका भोलेनाथ को दिया
,
शिव जी ने फिर एक फुँक मे ही पुरा चिल्लम खाली
कर दिया,
.
हर फुँक के बाद एक गंजेडी, भोलेनाथ से पुछता रहा :
"नशा आया" ?
.
जवाब मे शिव जी केवल मुस्कुरा के 'ना' मे सर हिला
देते,
.
ऐसे कर के जब पाँच चिल्लम खाली हो गये तो
गंजेडी आखिरी चिल्लम भरने लगे तभी उनमे से एक
गंजेडी ने पुछा : " क्यों अभी भी नशा नही हुआ ? "
.
तब शिव जी ने कहा : "जानते हो मै कौन हुँ ?"
.
गंजेडी : "कौन हो भाऊ ? "
.
शिव जी : " मै इस ससांर का सहाँरक, सभी भुत, प्रेत,
यक्ष, असुर, गंधर्व का स्वामी, ब्रम्हाड का
आदिवासी, हिमालय का निवासी हुँ,
आदि
अंत - प्रारंभ, नाश और नशा सब की सीमा
मुझसे
प्रारंभ होती है और मुझ पर ही खत्म, शकंर नाम है मेरा,
जिसको तुम लोग रोज याद करते हो "
.
.
.
.
गंजेडी जोर से चिल्लाया : " अब इसको और
चिल्लम
मत देना बे , गाँजा चढ गया इसको
😄 😄 😄 😄 😄 😄  बम        बम      भोले

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