Wednesday, June 24, 2015

 फना हो गया हूँ, तन्हा हो गया हूँ

ऐ यार तुमसे जुदा हो गया हूँ



माज़ी के जितने तसव्वुर हैं मेरे

मैं सबसे अचानक खफा हो गया हूँ



दिल से शिकायत करें भी तो कैसे

मैं जिसके लिए शिकवा हो गया हूँ



तुमसे शुरू ये हुई थी कहानी

मैं आज उसकी इन्तहा हो गया हूँ




 तब तेरे दिल में उजाला सा नजर आएगा

खुशी छा जाती है नजरों पे कफन बनकर
दर्दे तन्हाई में तू जिंदगी को समझ पाएगा

इश्क के चिरागों को गजलों से जलाते चलो
उम्र तो इस तरह से भी मेरा कट जाएगा

क्या लेकर जाना है हमें इस दुनिया से
जब मेरा जिस्म ही मुझे छोड़ चला जाएगा


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