"हर रोज़ पीता हूँ तेरे छोड़ जाने के ग़म में,
वर्ना पीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं,
बहुत याद आते है तेरे साथ बीताये हुये लम्हें,
वर्ना मर मर के जीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं|"
ज़रूरत नहीं जिसे माल वज़र की
वहां जमा और ही दौलत हो रही है ।
जिस दर से लोग पाते है शिफ़ासे
मरीज़ों की वहीं तिजारत हो रही है ।
न हो शोहरत तो गुमनामी का भी खतरा नहीं होता,
बहुत मशहूर होना भी बहुत अच्छा नहीं होता ।
फसादों, हादसों, जंगों में ही हम एक होते हैं,
कोई आफ़त न आए तो कोई अपना नहीं होता ।
समझने लगता है दुनिया को बच्चा पैदा होते ही,
अब इस दुनिया में बच्चा बन के वो पैदा नहीं होता ।
अंधेरा घर में, बाहर रोशनी, ऐसा भी होता है,
किसी का दिल तो होता है बुरा, चेहरा नहीं होता ।
वर्ना पीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं,
बहुत याद आते है तेरे साथ बीताये हुये लम्हें,
वर्ना मर मर के जीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं|"
ज़रूरत नहीं जिसे माल वज़र की
वहां जमा और ही दौलत हो रही है ।
जिस दर से लोग पाते है शिफ़ासे
मरीज़ों की वहीं तिजारत हो रही है ।
न हो शोहरत तो गुमनामी का भी खतरा नहीं होता,
बहुत मशहूर होना भी बहुत अच्छा नहीं होता ।
फसादों, हादसों, जंगों में ही हम एक होते हैं,
कोई आफ़त न आए तो कोई अपना नहीं होता ।
समझने लगता है दुनिया को बच्चा पैदा होते ही,
अब इस दुनिया में बच्चा बन के वो पैदा नहीं होता ।
अंधेरा घर में, बाहर रोशनी, ऐसा भी होता है,
किसी का दिल तो होता है बुरा, चेहरा नहीं होता ।
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