Monday, October 5, 2015

रंग से गोरी न थी,
लेकिन सुन्दर थी,
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बहुत ऊंची न थी
लेकिन मेरे लिए योग्य थी
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प्रेम देने वाली न सही लेकिन
मेरे कदमों से कदम मिलाती थी।
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मंदिर आने से इनकार करती थी,
लेकिन बाहर मेरा इंतजार करती थी।
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कहीं भी जाओ मेरे साथ चल देती थी जहाँ रुकु
मेरे लिए रुक
जाती थी वो.......
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कोई मुझे प्यार करे न करे पर वो मुझे बहुत प्यार
करती
थी
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बडी मेहनत से पाया था उसे बहुत चक्कर लगाया
था उसे
पाने के लिए
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हजारो की भीड से ढूढा था अपने लिऐ
घरवालो की नाराजगी झेलकर अपनाया था
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वो जो हमेशा मेरे साथ रही
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पर आज मुझे छोडकर चली गयी
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मेरी चप्पल थी
कोई साला चुरा कर ले गया !!😝😜😜😝😝😜😜😜😜😊😛


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