Thursday, April 28, 2016

लघु कथा...
:
दो भाई थे ।
आपस में बहुत प्यार था।
खेत अलग अलग थे आजु बाजू।
:
बड़े भाई शादीशुदा था ।
छोटा अकेला ।
:
एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाज बहुत हुआ ।
:
खेत में काम करते करते बड़े भाई ने बगल के खेत में छोटे भाई से खेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।
:
उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा ।
खेती तो अच्छी हुई इस बार आनाज भी बहुत हुआ ।
मैं तो अकेला हूँ ।
बड़े भाई की तो गृहस्थी है ।
मेरे लिए तो ये अनाज जरुरत से ज्यादा है ।
भैया के साथ तो भाभी बच्चे है ।
उन्हें जरुरत ज्यादा है।
:
ऐसा विचारकर वह 10 बोरे अनाज बड़े भाई के अनाज में डाल देता है।
बड़ा भाई भोजन करके आता है ।
:
उसके आते छोटा भाई भोजन के लिए चला जाता है।
:
भाई के जाते ही वह विचरता है ।
मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा है...
:
भाई को तो अभी गृहस्थी जमाना है...
उसे अभी जिम्मेदारिया सम्हालना है...
मै इतने अनाज का क्या करूँगा...
:
ऐसा विचारकर वो 10 बोरे अनाज छोटे भाई के खेत में डाल दिया...।
:
दोनों भाई के मन में हर्ष था...
अनाज उतना का उतना ही था और हर्ष स्नेह वात्सल्य बढ़ा हुआ था...।
:
सोच अच्छी रखो प्रेम बढेंगा...
:
- दुनिया बदल जायेंगी
जैसी जेरी भावना वैसा फल पावना...।।

No comments:

Post a Comment