*शहीद जवान के बच्चे की कविता दिल छू गई*
ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?
माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।
*पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे,*
टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे।
गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे,
हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे।
*पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए,*
लगता है की खूब गहरी नींद सो गए।
नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है,
*ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।*
फौजी अंकलों की भीड़ घर क्यूँ आई है,
पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है।
*साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार ,*
आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार।
चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ,
*माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ।*
गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।
*माँ तू क्यों है इतना रोती ये बता मुझे,*
होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे।
माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती,
*लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती।*
काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है,
क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है।
*माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है,*
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।
पापा कहाँ है जा रहे अब ये बताओ माँ,
*चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना।*
क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर,
जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर।
दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर,
*आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर।*
पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।
क्यूँ लकड़ियों के बीच में पापा लिटाये है,
*सब कह रहे है लेने उनको राम आये है।*
पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं,
बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं।
*इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे,*
आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे।
अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे,
*ओढ़ के तिरंगा पापा घर क्यूँ आये थे ।*
🇮🇳🇮🇳😢😢😢😢😢🇮🇳🇮🇳
ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?
माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।
*पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे,*
टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे।
गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे,
हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे।
*पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए,*
लगता है की खूब गहरी नींद सो गए।
नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है,
*ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।*
फौजी अंकलों की भीड़ घर क्यूँ आई है,
पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है।
*साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार ,*
आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार।
चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ,
*माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ।*
गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।
*माँ तू क्यों है इतना रोती ये बता मुझे,*
होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे।
माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती,
*लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती।*
काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है,
क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है।
*माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है,*
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।
पापा कहाँ है जा रहे अब ये बताओ माँ,
*चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना।*
क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर,
जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर।
दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर,
*आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर।*
पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है,
ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।
क्यूँ लकड़ियों के बीच में पापा लिटाये है,
*सब कह रहे है लेने उनको राम आये है।*
पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं,
बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं।
*इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे,*
आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे।
अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे,
*ओढ़ के तिरंगा पापा घर क्यूँ आये थे ।*
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