रामायण मे दो ऐसे व्यक्ती थे...
एक विभीषण और एक कैकेयी...
विभीषण रावण के राज मे रहता था
फिर भी नही बिगडा...
कैकेयी राम के राज मे रहती
थी
फिर भी नही सुधरी..!!
तात्पर्य...
सुधरना एवं बिगडना केवल मनुष्य के सोच और स्वभाव पर निर्भर
होता है
माहौल पर नहीं..
: रावण सीता को समझा समझा कर हार गया था पर
सीता ने रावण की तरफ एक
बार देखा तक नहीं..!
तब मंदोदरी ने उपाय बताया कि तुम राम बन के सीता के
पास जाओ वो तुम्हे जरूर देखेगी..!
रावण ने कहा - मैं ऐसा कई बार कर चुका हू..!
मंदोदरी - तब क्या सीता ने आपकी ओर देखा..?
.रावण - मैं खुद सीता को नहीं देख सका..!
क्योंकि मैं जब- जब राम बनता हूँ,
मुझे परायी नारी अपनी माता और
अपनी पुत्री सी दिखती है..!
.
अपने अंदर राम को ढूंढे,
और उनके चरित्र पर चलिए..!
आपसे भूलकर भी भूल नहीं होगी..!
.
॥ जय श्री राम ॥ : मंदिर के बाहर लिखा हुआ एक खुबसुरत सच......
"अगर उपवास करके भगवान खुश होते,
तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक खाली पेट
रहनेवाला भिखारी सबसे सुखी इन्सान होता..
उपवास अन का नही विचारों का करे....
इंसान खुद की नजर में सही होना चाहिए, दुनिया तो भगवान से भी दुखी है!
🍌🍎🍏🍊🌞🌿😄
आज का विचार:
चिड़िया जब जीवित रहती है
तब वो चिंटी🐜 को खाती है
चिड़िया जब मर जाती है तब
चींटिया उसको खा जाती है।
☝
इसलिए इस बात का ध्यान रखो की समय और स्तिथि कभी भी बदल सकते है.
👍इसलिए कभी किसी का अपमान मत करो
👍कभी किसी को कम मत आंको।
👍तुम शक्तिशाली हो सकते हो पर समय तुमसे भी शक्तिशाली है।
👍एक पेड़ से लाखो माचिस की तीलिया बनाई जा सकती है
👍 पर एक माचिस की तिल्ली से लाखो पेड़ भी जल सकते है।
👍कोई चाहे कितना भी महान क्यों ना हो जाए, पर कुदरत कभी भी किसी को महान बनने का मौका नहीं देती।
👉कंठ दिया कोयल को, तो रूप छीन लिया ।
👉रूप दिया मोर को, तो ईच्छा छीन ली ।
👉दी ईच्छा इन्सान को, तो संतोष छीन लिया ।
👉दिया संतोष संत को, तो संसार छीन लिया ।
👉दिया संसार चलाने देवी-देवताओं को, तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।
☝मत करना कभी भी ग़ुरूर अपने आप पर 'ऐ इंसान'
☝ भगवान ने तेरे और मेरे जैसे कितनो को मिट्टी से बना के, मिट्टी में मिला दिए ।
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
👉 इंसान दुनिया में तीन चीज़ो के लिए मेहनत करता है
1-मेरा नाम ऊँचा हो .
२ -मेरा लिबास अच्छा हो .
3-मेरा मकान खूबसूरत हो ..
लेकिन इंसान के मरते ही भगवान उसकी तीनों चीज़े
सबसे पहले बदल देता है
१- नाम = (स्वर्गीय )
२- लिबास = (कफन )
३-मकान = ( श्मशान )
जीवन की कड़वी सच्चाई जिसे हम समझना नहीं चाहते 👈
👌👌👌👌👌
ये चन्द पंक्तियाँ
जिसने भी लिखी है
खूब लिखी है
एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर भी पथ्थर ही रहते है ..!!
👍 NICE LINE👌
एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये अपनी सुन्दरता त्याग देती है.......
और
वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए अपनी माँ को त्याग देता है
********[**********]*****
जीवन में हर जगह
हम "जीत" चाहते हैं...
सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि
"हार" चाहिए।
क्योंकि
हम भगवान से
"जीत" नहीं सकते।
➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦
धीमें से पढ़े बहुत ही
अर्थपूर्ण है यह मेसेज...
हम और हमारे ईश्वर,
दोनों एक जैसे हैं।
जो रोज़ भूल जाते हैं...
वो हमारी गलतियों को,
हम उसकी मेहरबानियों को।
➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦
🔷 एक सुविचार 🔷
वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ.....
पर अपनों का पता चलता है,
वक़्त के साथ...
वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ,
पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ...!!!
➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦
💯%✔
ज़िन्दगी पल-पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है... Ni
शिकवे कितने भी हो हर पल,
फिर भी हँसते रहना...
क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है।
ये SMS जरुर सबको भेजना .. बहूत ही सुंदर ( कृपया एक-एक शब्द पढें )
🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀
कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए ;
कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं फूल चढाता हूँ , तो वो भँवरे का झूठा है ;
अगर मैं फल चढाता हूँ , तो वो पक्षी का झूठा है ;
अगर मैं जल चढाता हूँ , तो वो मछली का झूठा है ;
अगर मैं दूध चढाता हूँ , तो वो बछडे का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं सोना चढ़ाता हूँ , तो वो माटी का झूठा है ;
अगर मैं हीरा चढ़ाता हूँ , तो वो कोयले का झूठा है ;
अगर मैं मोती चढाता हूँ , तो वो सीपो का झूठा है ;
अगर मैं चंदन चढाता हूँ , तो वो सर्पो का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं तन चढाता हूँ , तो वो पत्नी का झूठा है ;
अगर मैं मन चढाता हूँ , तो वो ममता का झूठा है ;
अगर मैं धन चढाता हूँ , तो वो पापो का झूठा है ;
अगर मैं धर्म चढाता हूँ , तो वो कर्मों का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ;
तुझे परमात्मा जानू , तू ही तो है - मेरा दर्पण ;
तुझे मैं आत्मा जानू , करूँ मैं आत्मा अर्पण.
एक विभीषण और एक कैकेयी...
विभीषण रावण के राज मे रहता था
फिर भी नही बिगडा...
कैकेयी राम के राज मे रहती
थी
फिर भी नही सुधरी..!!
तात्पर्य...
सुधरना एवं बिगडना केवल मनुष्य के सोच और स्वभाव पर निर्भर
होता है
माहौल पर नहीं..
: रावण सीता को समझा समझा कर हार गया था पर
सीता ने रावण की तरफ एक
बार देखा तक नहीं..!
तब मंदोदरी ने उपाय बताया कि तुम राम बन के सीता के
पास जाओ वो तुम्हे जरूर देखेगी..!
रावण ने कहा - मैं ऐसा कई बार कर चुका हू..!
मंदोदरी - तब क्या सीता ने आपकी ओर देखा..?
.रावण - मैं खुद सीता को नहीं देख सका..!
क्योंकि मैं जब- जब राम बनता हूँ,
मुझे परायी नारी अपनी माता और
अपनी पुत्री सी दिखती है..!
.
अपने अंदर राम को ढूंढे,
और उनके चरित्र पर चलिए..!
आपसे भूलकर भी भूल नहीं होगी..!
.
॥ जय श्री राम ॥ : मंदिर के बाहर लिखा हुआ एक खुबसुरत सच......
"अगर उपवास करके भगवान खुश होते,
तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक खाली पेट
रहनेवाला भिखारी सबसे सुखी इन्सान होता..
उपवास अन का नही विचारों का करे....
इंसान खुद की नजर में सही होना चाहिए, दुनिया तो भगवान से भी दुखी है!
🍌🍎🍏🍊🌞🌿😄
आज का विचार:
चिड़िया जब जीवित रहती है
तब वो चिंटी🐜 को खाती है
चिड़िया जब मर जाती है तब
चींटिया उसको खा जाती है।
☝
इसलिए इस बात का ध्यान रखो की समय और स्तिथि कभी भी बदल सकते है.
👍इसलिए कभी किसी का अपमान मत करो
👍कभी किसी को कम मत आंको।
👍तुम शक्तिशाली हो सकते हो पर समय तुमसे भी शक्तिशाली है।
👍एक पेड़ से लाखो माचिस की तीलिया बनाई जा सकती है
👍 पर एक माचिस की तिल्ली से लाखो पेड़ भी जल सकते है।
👍कोई चाहे कितना भी महान क्यों ना हो जाए, पर कुदरत कभी भी किसी को महान बनने का मौका नहीं देती।
👉कंठ दिया कोयल को, तो रूप छीन लिया ।
👉रूप दिया मोर को, तो ईच्छा छीन ली ।
👉दी ईच्छा इन्सान को, तो संतोष छीन लिया ।
👉दिया संतोष संत को, तो संसार छीन लिया ।
👉दिया संसार चलाने देवी-देवताओं को, तो उनसे भी मोक्ष छीन लिया ।
☝मत करना कभी भी ग़ुरूर अपने आप पर 'ऐ इंसान'
☝ भगवान ने तेरे और मेरे जैसे कितनो को मिट्टी से बना के, मिट्टी में मिला दिए ।
🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
👉 इंसान दुनिया में तीन चीज़ो के लिए मेहनत करता है
1-मेरा नाम ऊँचा हो .
२ -मेरा लिबास अच्छा हो .
3-मेरा मकान खूबसूरत हो ..
लेकिन इंसान के मरते ही भगवान उसकी तीनों चीज़े
सबसे पहले बदल देता है
१- नाम = (स्वर्गीय )
२- लिबास = (कफन )
३-मकान = ( श्मशान )
जीवन की कड़वी सच्चाई जिसे हम समझना नहीं चाहते 👈
👌👌👌👌👌
ये चन्द पंक्तियाँ
जिसने भी लिखी है
खूब लिखी है
एक पथ्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान बन जाता है ..
इंसान हर रोज़ मंदिर जाते है फिर भी पथ्थर ही रहते है ..!!
👍 NICE LINE👌
एक औरत बेटे को जन्म देने के लिये अपनी सुन्दरता त्याग देती है.......
और
वही बेटा एक सुन्दर बीवी के लिए अपनी माँ को त्याग देता है
********[**********]*****
जीवन में हर जगह
हम "जीत" चाहते हैं...
सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि
"हार" चाहिए।
क्योंकि
हम भगवान से
"जीत" नहीं सकते।
➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦
धीमें से पढ़े बहुत ही
अर्थपूर्ण है यह मेसेज...
हम और हमारे ईश्वर,
दोनों एक जैसे हैं।
जो रोज़ भूल जाते हैं...
वो हमारी गलतियों को,
हम उसकी मेहरबानियों को।
➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦
🔷 एक सुविचार 🔷
वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ.....
पर अपनों का पता चलता है,
वक़्त के साथ...
वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ,
पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ...!!!
➖♦➖♦➖♦➖♦➖♦
💯%✔
ज़िन्दगी पल-पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है... Ni
शिकवे कितने भी हो हर पल,
फिर भी हँसते रहना...
क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक ही बार मिलती है।
ये SMS जरुर सबको भेजना .. बहूत ही सुंदर ( कृपया एक-एक शब्द पढें )
🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀🌀
कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए ;
कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं फूल चढाता हूँ , तो वो भँवरे का झूठा है ;
अगर मैं फल चढाता हूँ , तो वो पक्षी का झूठा है ;
अगर मैं जल चढाता हूँ , तो वो मछली का झूठा है ;
अगर मैं दूध चढाता हूँ , तो वो बछडे का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं सोना चढ़ाता हूँ , तो वो माटी का झूठा है ;
अगर मैं हीरा चढ़ाता हूँ , तो वो कोयले का झूठा है ;
अगर मैं मोती चढाता हूँ , तो वो सीपो का झूठा है ;
अगर मैं चंदन चढाता हूँ , तो वो सर्पो का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं तन चढाता हूँ , तो वो पत्नी का झूठा है ;
अगर मैं मन चढाता हूँ , तो वो ममता का झूठा है ;
अगर मैं धन चढाता हूँ , तो वो पापो का झूठा है ;
अगर मैं धर्म चढाता हूँ , तो वो कर्मों का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ;
तुझे परमात्मा जानू , तू ही तो है - मेरा दर्पण ;
तुझे मैं आत्मा जानू , करूँ मैं आत्मा अर्पण.
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