Sunday, September 18, 2016

एक हसरत है कि तूने मुझे चाहा होता ,  
दूसरी ये कि तेरा कुर्ब भी पाया होता .

ये जो हर रोज़ परिंदों से सुना करता हूँ
प्यार का गीत मुझे तूने सुनाया होता .

जागता ही न कभी नींद से ऐ जान-ए-वफ़ा
तू अगर ख्वाब में मेरे कभी आया होता .

मिल गया यूँ तो बड़ा नाम मुझे दुनिया में
काश खो कर इसे मैंने तुझे पाया होता .

कोई सरहद , कोई दीवार न हाइल होती
फासला हमने अगर मिल के मिटाया होता .

एक कदम मैंने बढाया था कि दो गाम है तू
एक कदम मेरी तरफ तूने बढाया होता .

मैंने जिस तरह तुझे चाहा , तुझे प्यार किया
काश तूने भी मुझे ऐसे ही चाहा होता .

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