*!! बहुमत का सत्य !!*
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एक साधु वर्तमान शासन तंत्र की आलोचना कर रहे थे, तब एक तार्किक ने उनसे पूछा- कल तो आप संगठन शक्ति की महत्ता बता रहे थे, आज शासन की बुराई! शासन भी तो एक संगठन ही है।
इस पर महात्मा ने एक कहानी सुनाई- एक वृक्ष पर उल्लू बैठा था, उसी पर आकर एक हंस भी बैठ गया और स्वाभाविक रूप में बोला- आज सूर्य प्रचंड रूप से चमक रहा है, इससे गरमी तीव्र हो गई है। उल्लू ने कहा सूर्य कहाँ है, गरमी तो अंधकार बढ़ने से होती है, जो इस समय भी हो रहा है। उल्लू की आवाज सुनकर एक बड़े वटवृक्ष पर बैठे अनेक उल्लू वहाँ आकर हंस को मूर्ख बताने लगे और सूर्य के अस्तित्व को स्वीकार न कर हंस पर झपटे। हंस यह कहता हुआ उड़ गया कि यहाँ तुम्हारा बहुमत है, बहुमत में समझदार को सत्य के प्रतिपादन में सफलता मिलना दुष्कर ही है।
तार्किक संगठन और बहुमत के अंतर को समझकर चुप हो गया।
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