दिलकश हसीं सब होते अगर
तुम सा फिर नही होता मगर
बिछड़े हैं गुलशन तुम्हारे बिना
आशिक़ी है अधूरी तुम्हारे बिना
इश्क़ समझो मेरा तुम ओ जाने-जाँ
मर जायेंगे हम ये तो समझो जरा
ऐसे न तड़पाओ हमको पिया
सोचो हमारा अब होगा क्या
हम तो मरने को मिटने को तैयार हैं
ये न समझो ऐसे ही बेकार है
तुमसे मिलने को दिल ये बेकरार है
कह दो कि तुमको भी "हाँ प्यार है!"
अब ना सही जाए ये तड़पन प्रिये
आग सी लगी जो ये लगन है प्रिये!
समझो हालत मेरी, अब ना नादान बनो
अपने आशिक़ तो ना अनजान बनो
तुम पे जाँ लुटाने का वादा करूँ
तुम्हें अपना बनाने का इरादा करूँ
पतझड़ घेरे है दिल के आंगन को
अब ना सोचो, बरसने दो सावन को
अरे खुद न खुद को छिपा जालिमा
तेरे दिल में क्या है, बता जालिमा
कह दो के तुझको भी मेरा इंतज़ार है
इश्क़नामे पे मेरे ये इजहार है
बेकरारी का आलम, दिल बेकरार है
कह दो कि तुमको भी "हाँ प्यार है!"
फूल सारे खिले, उसमें तू गुलाब है
वाजिब हैं सब मगर तू लाजवाब है
मेरे हाथों में हाथ तेरा इक खिताब है
तू खुली आँखों से देखा, सुनहरा ख्वाब है
नज़्म लाखों लिख दूं पर कह न सकूँ
तारीफ तेरी लफ़्ज़ों में कर न सकूँ
दिल जलता है मेरा, सुकून दिला
आ रूबरू हो, मुझे मुझसे मिला
तेरी आँखों मेरे देखा करूँ जो सच है
तू वो ना छिपा, जो सच है
मोहब्बत है जो अगर तो कह के बता
होंठो से ना सही निगाहों से जता
ये जताना कि करती तू इकरार है
कह दो कि तुमको भी "हाँ प्यार है!"
तुम सा फिर नही होता मगर
बिछड़े हैं गुलशन तुम्हारे बिना
आशिक़ी है अधूरी तुम्हारे बिना
इश्क़ समझो मेरा तुम ओ जाने-जाँ
मर जायेंगे हम ये तो समझो जरा
ऐसे न तड़पाओ हमको पिया
सोचो हमारा अब होगा क्या
हम तो मरने को मिटने को तैयार हैं
ये न समझो ऐसे ही बेकार है
तुमसे मिलने को दिल ये बेकरार है
कह दो कि तुमको भी "हाँ प्यार है!"
अब ना सही जाए ये तड़पन प्रिये
आग सी लगी जो ये लगन है प्रिये!
समझो हालत मेरी, अब ना नादान बनो
अपने आशिक़ तो ना अनजान बनो
तुम पे जाँ लुटाने का वादा करूँ
तुम्हें अपना बनाने का इरादा करूँ
पतझड़ घेरे है दिल के आंगन को
अब ना सोचो, बरसने दो सावन को
अरे खुद न खुद को छिपा जालिमा
तेरे दिल में क्या है, बता जालिमा
कह दो के तुझको भी मेरा इंतज़ार है
इश्क़नामे पे मेरे ये इजहार है
बेकरारी का आलम, दिल बेकरार है
कह दो कि तुमको भी "हाँ प्यार है!"
फूल सारे खिले, उसमें तू गुलाब है
वाजिब हैं सब मगर तू लाजवाब है
मेरे हाथों में हाथ तेरा इक खिताब है
तू खुली आँखों से देखा, सुनहरा ख्वाब है
नज़्म लाखों लिख दूं पर कह न सकूँ
तारीफ तेरी लफ़्ज़ों में कर न सकूँ
दिल जलता है मेरा, सुकून दिला
आ रूबरू हो, मुझे मुझसे मिला
तेरी आँखों मेरे देखा करूँ जो सच है
तू वो ना छिपा, जो सच है
मोहब्बत है जो अगर तो कह के बता
होंठो से ना सही निगाहों से जता
ये जताना कि करती तू इकरार है
कह दो कि तुमको भी "हाँ प्यार है!"
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