Sunday, July 31, 2016

| सातवां घड़ा |

एक गाँव में एक नाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। नाई ईमानदार था, अपनी कमाई से संतुष्ट था। उसे किसी तरह का लालच नहीं था। नाई की पत्नी भी अपनी पति की कमाई हुई आय से बड़ी कुशलता से अपनी गृहस्थी चलाती थी। कुल मिलाकर उनकी जिंदगी बड़े आराम से हंसी-खुशी से गुजर रही थी।
नाई अपने काम में बहुत निपुण था। एक दिन वहाँ के राजा ने नाई को अपने पास बुलवाया और रोज उसे महल में आकर हजामत बनाने को कहा।
नाई ने भी बड़ी प्रसन्नता से राजा का प्रस्ताव मान लिया। नाई को रोज राजा की हजामत बनाने के लिए एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी।
इतना सारा पैसा पाकर नाई की पत्नी भी बड़ी खुश हुई। अब उसकी जिन्दगी बड़े आराम से कटने लगी। घर पर किसी चीज की कमी नहीं रही और हर महीने अच्छी रकम की बचत भी होने लगी। नाई, उसकी पत्नी और बच्चे सभी खुश रहने लगे।

एक दिन शाम को जब नाई अपना काम निपटा कर महल से अपने घर वापस जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक आवाज सुनाई दी।
आवाज एक यक्ष की थी। यक्ष ने नाई से कहा, ‘‘मैंने तुम्हारी ईमानदारी के बड़े चर्चे सुने हैं, मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत खुश हूँ और तुम्हें सोने की मुद्राओं से भरे सात घड़े देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे दिये हुए घड़े लोगे ?
नाई पहले तो थोड़ा डरा, पर दूसरे ही पल उसके मन में लालच आ गया और उसने यक्ष के दिये हुए घड़े लेने का निश्चय कर लिया।
नाई का उत्तर सुनकर उस आवाज ने फिर नाई से कहा, ‘‘ठीक है सातों घड़े तुम्हारे घर पहुँच जाएँगे।’’

नाई जब उस दिन घर पहुँचा, वाकई उसके कमरे में सात घड़े रखे हुए थे। नाई ने तुरन्त अपनी पत्नी को सारी बातें बताईं और दोनों ने घड़े खोलकर देखना शुरू किया। उसने देखा कि छः घड़े तो पूरे भरे हुए थे, पर सातवाँ घड़ा आधा खाली था।
नाई ने पत्नी से कहा—‘‘कोई बात नहीं, हर महीने जो हमारी बचत होती है, वह हम इस घड़े में डाल दिया करेंगे। जल्दी ही यह घड़ा भी भर जायेगा। और इन सातों घड़ों के सहारे हमारा बुढ़ापा आराम से कट जायेगा।
अगले ही दिन से नाई ने अपनी दिन भर की बचत को उस सातवें में डालना शुरू कर दिया। पर सातवें घड़े की भूख इतनी ज्यादा थी कि वह कभी भी भरने का नाम ही नहीं लेता था।

धीरे-धीरे नाई कंजूस होता गया और घड़े में ज्यादा पैसे डालने लगा, क्योंकि उसे जल्दी से अपना सातवाँ घड़ा भरना था।
नाई की कंजूसी के कारण अब घर में कमी आनी शुरू हो गयी, क्योंकि नाई अब पत्नी को कम पैसे देता था। पत्नी ने नाई को समझाने की कोशिश की, पर नाई को बस एक ही धुन सवार थी—सातवां घड़ा भरने की।
अब नाई के घर में पहले जैसा वातावरण नहीं था। उसकी पत्नी कंजूसी से तंग आकर बात-बात पर अपने पति से लड़ने लगी। घर के झगड़ों से नाई परेशान और चिड़चिड़ा हो गया।
एक दिन राजा ने नाई से उसकी परेशानी का कारण पूछा। नाई ने भी राजा से कह दिया अब मँहगाई के कारण उसका खर्च बढ़ गया है। नाई की बात सुनकर राजा ने उसका मेहताना बढ़ा दिया, पर राजा ने देखा कि पैसे बढ़ने से भी नाई को खुशी नहीं हुई, वह अब भी परेशान और चिड़चिड़ा ही रहता था।
एक दिन राजा ने नाई से पूछ ही लिया कि कहीं उसे यक्ष ने सात घड़े तो नहीं दे दिये हैं ? नाई ने राजा को सातवें घड़े के बारे में सच-सच बता दिया।

तब राजा ने नाई से कहा कि सातों घड़े यक्ष को वापस कर दो, क्योंकि सातवां घड़ा साक्षात लोभ है, उसकी भूख कभी नहीं मिटती।
नाई को सारी बात समझ में आ गयी। नाई ने उसी दिन घर लौटकर सातों घड़े यक्ष को वापस कर दिये।

घड़ों के वापस जाने के बाद नाई का जीवन फिर से खुशियों से भर गया था।

कहानी हमें बताती है कि हमें कभी लोभ नहीं करना चाहिए। भगवान ने हम सभी को अपने कर्मों के अनुसार चीजें दी हैं, हमारे पास जो है, हमें उसी से खुश रहना चाहिए। अगर हम लालच करे तो सातवें घड़े की तरह उसका कोई अंत नहीं होता।
| सातवां घड़ा |

एक गाँव में एक नाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। नाई ईमानदार था, अपनी कमाई से संतुष्ट था। उसे किसी तरह का लालच नहीं था। नाई की पत्नी भी अपनी पति की कमाई हुई आय से बड़ी कुशलता से अपनी गृहस्थी चलाती थी। कुल मिलाकर उनकी जिंदगी बड़े आराम से हंसी-खुशी से गुजर रही थी।
नाई अपने काम में बहुत निपुण था। एक दिन वहाँ के राजा ने नाई को अपने पास बुलवाया और रोज उसे महल में आकर हजामत बनाने को कहा।
नाई ने भी बड़ी प्रसन्नता से राजा का प्रस्ताव मान लिया। नाई को रोज राजा की हजामत बनाने के लिए एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी।
इतना सारा पैसा पाकर नाई की पत्नी भी बड़ी खुश हुई। अब उसकी जिन्दगी बड़े आराम से कटने लगी। घर पर किसी चीज की कमी नहीं रही और हर महीने अच्छी रकम की बचत भी होने लगी। नाई, उसकी पत्नी और बच्चे सभी खुश रहने लगे।

एक दिन शाम को जब नाई अपना काम निपटा कर महल से अपने घर वापस जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक आवाज सुनाई दी।
आवाज एक यक्ष की थी। यक्ष ने नाई से कहा, ‘‘मैंने तुम्हारी ईमानदारी के बड़े चर्चे सुने हैं, मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत खुश हूँ और तुम्हें सोने की मुद्राओं से भरे सात घड़े देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे दिये हुए घड़े लोगे ?
नाई पहले तो थोड़ा डरा, पर दूसरे ही पल उसके मन में लालच आ गया और उसने यक्ष के दिये हुए घड़े लेने का निश्चय कर लिया।
नाई का उत्तर सुनकर उस आवाज ने फिर नाई से कहा, ‘‘ठीक है सातों घड़े तुम्हारे घर पहुँच जाएँगे।’’

नाई जब उस दिन घर पहुँचा, वाकई उसके कमरे में सात घड़े रखे हुए थे। नाई ने तुरन्त अपनी पत्नी को सारी बातें बताईं और दोनों ने घड़े खोलकर देखना शुरू किया। उसने देखा कि छः घड़े तो पूरे भरे हुए थे, पर सातवाँ घड़ा आधा खाली था।
नाई ने पत्नी से कहा—‘‘कोई बात नहीं, हर महीने जो हमारी बचत होती है, वह हम इस घड़े में डाल दिया करेंगे। जल्दी ही यह घड़ा भी भर जायेगा। और इन सातों घड़ों के सहारे हमारा बुढ़ापा आराम से कट जायेगा।
अगले ही दिन से नाई ने अपनी दिन भर की बचत को उस सातवें में डालना शुरू कर दिया। पर सातवें घड़े की भूख इतनी ज्यादा थी कि वह कभी भी भरने का नाम ही नहीं लेता था।

धीरे-धीरे नाई कंजूस होता गया और घड़े में ज्यादा पैसे डालने लगा, क्योंकि उसे जल्दी से अपना सातवाँ घड़ा भरना था।
नाई की कंजूसी के कारण अब घर में कमी आनी शुरू हो गयी, क्योंकि नाई अब पत्नी को कम पैसे देता था। पत्नी ने नाई को समझाने की कोशिश की, पर नाई को बस एक ही धुन सवार थी—सातवां घड़ा भरने की।
अब नाई के घर में पहले जैसा वातावरण नहीं था। उसकी पत्नी कंजूसी से तंग आकर बात-बात पर अपने पति से लड़ने लगी। घर के झगड़ों से नाई परेशान और चिड़चिड़ा हो गया।
एक दिन राजा ने नाई से उसकी परेशानी का कारण पूछा। नाई ने भी राजा से कह दिया अब मँहगाई के कारण उसका खर्च बढ़ गया है। नाई की बात सुनकर राजा ने उसका मेहताना बढ़ा दिया, पर राजा ने देखा कि पैसे बढ़ने से भी नाई को खुशी नहीं हुई, वह अब भी परेशान और चिड़चिड़ा ही रहता था।
एक दिन राजा ने नाई से पूछ ही लिया कि कहीं उसे यक्ष ने सात घड़े तो नहीं दे दिये हैं ? नाई ने राजा को सातवें घड़े के बारे में सच-सच बता दिया।

तब राजा ने नाई से कहा कि सातों घड़े यक्ष को वापस कर दो, क्योंकि सातवां घड़ा साक्षात लोभ है, उसकी भूख कभी नहीं मिटती।
नाई को सारी बात समझ में आ गयी। नाई ने उसी दिन घर लौटकर सातों घड़े यक्ष को वापस कर दिये।

घड़ों के वापस जाने के बाद नाई का जीवन फिर से खुशियों से भर गया था।

कहानी हमें बताती है कि हमें कभी लोभ नहीं करना चाहिए। भगवान ने हम सभी को अपने कर्मों के अनुसार चीजें दी हैं, हमारे पास जो है, हमें उसी से खुश रहना चाहिए। अगर हम लालच करे तो सातवें घड़े की तरह उसका कोई अंत नहीं होता।
| सातवां घड़ा |

एक गाँव में एक नाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। नाई ईमानदार था, अपनी कमाई से संतुष्ट था। उसे किसी तरह का लालच नहीं था। नाई की पत्नी भी अपनी पति की कमाई हुई आय से बड़ी कुशलता से अपनी गृहस्थी चलाती थी। कुल मिलाकर उनकी जिंदगी बड़े आराम से हंसी-खुशी से गुजर रही थी।
नाई अपने काम में बहुत निपुण था। एक दिन वहाँ के राजा ने नाई को अपने पास बुलवाया और रोज उसे महल में आकर हजामत बनाने को कहा।
नाई ने भी बड़ी प्रसन्नता से राजा का प्रस्ताव मान लिया। नाई को रोज राजा की हजामत बनाने के लिए एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी।
इतना सारा पैसा पाकर नाई की पत्नी भी बड़ी खुश हुई। अब उसकी जिन्दगी बड़े आराम से कटने लगी। घर पर किसी चीज की कमी नहीं रही और हर महीने अच्छी रकम की बचत भी होने लगी। नाई, उसकी पत्नी और बच्चे सभी खुश रहने लगे।

एक दिन शाम को जब नाई अपना काम निपटा कर महल से अपने घर वापस जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक आवाज सुनाई दी।
आवाज एक यक्ष की थी। यक्ष ने नाई से कहा, ‘‘मैंने तुम्हारी ईमानदारी के बड़े चर्चे सुने हैं, मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत खुश हूँ और तुम्हें सोने की मुद्राओं से भरे सात घड़े देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे दिये हुए घड़े लोगे ?
नाई पहले तो थोड़ा डरा, पर दूसरे ही पल उसके मन में लालच आ गया और उसने यक्ष के दिये हुए घड़े लेने का निश्चय कर लिया।
नाई का उत्तर सुनकर उस आवाज ने फिर नाई से कहा, ‘‘ठीक है सातों घड़े तुम्हारे घर पहुँच जाएँगे।’’

नाई जब उस दिन घर पहुँचा, वाकई उसके कमरे में सात घड़े रखे हुए थे। नाई ने तुरन्त अपनी पत्नी को सारी बातें बताईं और दोनों ने घड़े खोलकर देखना शुरू किया। उसने देखा कि छः घड़े तो पूरे भरे हुए थे, पर सातवाँ घड़ा आधा खाली था।
नाई ने पत्नी से कहा—‘‘कोई बात नहीं, हर महीने जो हमारी बचत होती है, वह हम इस घड़े में डाल दिया करेंगे। जल्दी ही यह घड़ा भी भर जायेगा। और इन सातों घड़ों के सहारे हमारा बुढ़ापा आराम से कट जायेगा।
अगले ही दिन से नाई ने अपनी दिन भर की बचत को उस सातवें में डालना शुरू कर दिया। पर सातवें घड़े की भूख इतनी ज्यादा थी कि वह कभी भी भरने का नाम ही नहीं लेता था।

धीरे-धीरे नाई कंजूस होता गया और घड़े में ज्यादा पैसे डालने लगा, क्योंकि उसे जल्दी से अपना सातवाँ घड़ा भरना था।
नाई की कंजूसी के कारण अब घर में कमी आनी शुरू हो गयी, क्योंकि नाई अब पत्नी को कम पैसे देता था। पत्नी ने नाई को समझाने की कोशिश की, पर नाई को बस एक ही धुन सवार थी—सातवां घड़ा भरने की।
अब नाई के घर में पहले जैसा वातावरण नहीं था। उसकी पत्नी कंजूसी से तंग आकर बात-बात पर अपने पति से लड़ने लगी। घर के झगड़ों से नाई परेशान और चिड़चिड़ा हो गया।
एक दिन राजा ने नाई से उसकी परेशानी का कारण पूछा। नाई ने भी राजा से कह दिया अब मँहगाई के कारण उसका खर्च बढ़ गया है। नाई की बात सुनकर राजा ने उसका मेहताना बढ़ा दिया, पर राजा ने देखा कि पैसे बढ़ने से भी नाई को खुशी नहीं हुई, वह अब भी परेशान और चिड़चिड़ा ही रहता था।
एक दिन राजा ने नाई से पूछ ही लिया कि कहीं उसे यक्ष ने सात घड़े तो नहीं दे दिये हैं ? नाई ने राजा को सातवें घड़े के बारे में सच-सच बता दिया।

तब राजा ने नाई से कहा कि सातों घड़े यक्ष को वापस कर दो, क्योंकि सातवां घड़ा साक्षात लोभ है, उसकी भूख कभी नहीं मिटती।
नाई को सारी बात समझ में आ गयी। नाई ने उसी दिन घर लौटकर सातों घड़े यक्ष को वापस कर दिये।

घड़ों के वापस जाने के बाद नाई का जीवन फिर से खुशियों से भर गया था।

कहानी हमें बताती है कि हमें कभी लोभ नहीं करना चाहिए। भगवान ने हम सभी को अपने कर्मों के अनुसार चीजें दी हैं, हमारे पास जो है, हमें उसी से खुश रहना चाहिए। अगर हम लालच करे तो सातवें घड़े की तरह उसका कोई अंत नहीं होता।
| सातवां घड़ा |

एक गाँव में एक नाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। नाई ईमानदार था, अपनी कमाई से संतुष्ट था। उसे किसी तरह का लालच नहीं था। नाई की पत्नी भी अपनी पति की कमाई हुई आय से बड़ी कुशलता से अपनी गृहस्थी चलाती थी। कुल मिलाकर उनकी जिंदगी बड़े आराम से हंसी-खुशी से गुजर रही थी।
नाई अपने काम में बहुत निपुण था। एक दिन वहाँ के राजा ने नाई को अपने पास बुलवाया और रोज उसे महल में आकर हजामत बनाने को कहा।
नाई ने भी बड़ी प्रसन्नता से राजा का प्रस्ताव मान लिया। नाई को रोज राजा की हजामत बनाने के लिए एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी।
इतना सारा पैसा पाकर नाई की पत्नी भी बड़ी खुश हुई। अब उसकी जिन्दगी बड़े आराम से कटने लगी। घर पर किसी चीज की कमी नहीं रही और हर महीने अच्छी रकम की बचत भी होने लगी। नाई, उसकी पत्नी और बच्चे सभी खुश रहने लगे।

एक दिन शाम को जब नाई अपना काम निपटा कर महल से अपने घर वापस जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक आवाज सुनाई दी।
आवाज एक यक्ष की थी। यक्ष ने नाई से कहा, ‘‘मैंने तुम्हारी ईमानदारी के बड़े चर्चे सुने हैं, मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत खुश हूँ और तुम्हें सोने की मुद्राओं से भरे सात घड़े देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे दिये हुए घड़े लोगे ?
नाई पहले तो थोड़ा डरा, पर दूसरे ही पल उसके मन में लालच आ गया और उसने यक्ष के दिये हुए घड़े लेने का निश्चय कर लिया।
नाई का उत्तर सुनकर उस आवाज ने फिर नाई से कहा, ‘‘ठीक है सातों घड़े तुम्हारे घर पहुँच जाएँगे।’’

नाई जब उस दिन घर पहुँचा, वाकई उसके कमरे में सात घड़े रखे हुए थे। नाई ने तुरन्त अपनी पत्नी को सारी बातें बताईं और दोनों ने घड़े खोलकर देखना शुरू किया। उसने देखा कि छः घड़े तो पूरे भरे हुए थे, पर सातवाँ घड़ा आधा खाली था।
नाई ने पत्नी से कहा—‘‘कोई बात नहीं, हर महीने जो हमारी बचत होती है, वह हम इस घड़े में डाल दिया करेंगे। जल्दी ही यह घड़ा भी भर जायेगा। और इन सातों घड़ों के सहारे हमारा बुढ़ापा आराम से कट जायेगा।
अगले ही दिन से नाई ने अपनी दिन भर की बचत को उस सातवें में डालना शुरू कर दिया। पर सातवें घड़े की भूख इतनी ज्यादा थी कि वह कभी भी भरने का नाम ही नहीं लेता था।

धीरे-धीरे नाई कंजूस होता गया और घड़े में ज्यादा पैसे डालने लगा, क्योंकि उसे जल्दी से अपना सातवाँ घड़ा भरना था।
नाई की कंजूसी के कारण अब घर में कमी आनी शुरू हो गयी, क्योंकि नाई अब पत्नी को कम पैसे देता था। पत्नी ने नाई को समझाने की कोशिश की, पर नाई को बस एक ही धुन सवार थी—सातवां घड़ा भरने की।
अब नाई के घर में पहले जैसा वातावरण नहीं था। उसकी पत्नी कंजूसी से तंग आकर बात-बात पर अपने पति से लड़ने लगी। घर के झगड़ों से नाई परेशान और चिड़चिड़ा हो गया।
एक दिन राजा ने नाई से उसकी परेशानी का कारण पूछा। नाई ने भी राजा से कह दिया अब मँहगाई के कारण उसका खर्च बढ़ गया है। नाई की बात सुनकर राजा ने उसका मेहताना बढ़ा दिया, पर राजा ने देखा कि पैसे बढ़ने से भी नाई को खुशी नहीं हुई, वह अब भी परेशान और चिड़चिड़ा ही रहता था।
एक दिन राजा ने नाई से पूछ ही लिया कि कहीं उसे यक्ष ने सात घड़े तो नहीं दे दिये हैं ? नाई ने राजा को सातवें घड़े के बारे में सच-सच बता दिया।

तब राजा ने नाई से कहा कि सातों घड़े यक्ष को वापस कर दो, क्योंकि सातवां घड़ा साक्षात लोभ है, उसकी भूख कभी नहीं मिटती।
नाई को सारी बात समझ में आ गयी। नाई ने उसी दिन घर लौटकर सातों घड़े यक्ष को वापस कर दिये।

घड़ों के वापस जाने के बाद नाई का जीवन फिर से खुशियों से भर गया था।

कहानी हमें बताती है कि हमें कभी लोभ नहीं करना चाहिए। भगवान ने हम सभी को अपने कर्मों के अनुसार चीजें दी हैं, हमारे पास जो है, हमें उसी से खुश रहना चाहिए। अगर हम लालच करे तो सातवें घड़े की तरह उसका कोई अंत नहीं होता।
| सातवां घड़ा |

एक गाँव में एक नाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। नाई ईमानदार था, अपनी कमाई से संतुष्ट था। उसे किसी तरह का लालच नहीं था। नाई की पत्नी भी अपनी पति की कमाई हुई आय से बड़ी कुशलता से अपनी गृहस्थी चलाती थी। कुल मिलाकर उनकी जिंदगी बड़े आराम से हंसी-खुशी से गुजर रही थी।
नाई अपने काम में बहुत निपुण था। एक दिन वहाँ के राजा ने नाई को अपने पास बुलवाया और रोज उसे महल में आकर हजामत बनाने को कहा।
नाई ने भी बड़ी प्रसन्नता से राजा का प्रस्ताव मान लिया। नाई को रोज राजा की हजामत बनाने के लिए एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी।
इतना सारा पैसा पाकर नाई की पत्नी भी बड़ी खुश हुई। अब उसकी जिन्दगी बड़े आराम से कटने लगी। घर पर किसी चीज की कमी नहीं रही और हर महीने अच्छी रकम की बचत भी होने लगी। नाई, उसकी पत्नी और बच्चे सभी खुश रहने लगे।

एक दिन शाम को जब नाई अपना काम निपटा कर महल से अपने घर वापस जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक आवाज सुनाई दी।
आवाज एक यक्ष की थी। यक्ष ने नाई से कहा, ‘‘मैंने तुम्हारी ईमानदारी के बड़े चर्चे सुने हैं, मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत खुश हूँ और तुम्हें सोने की मुद्राओं से भरे सात घड़े देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे दिये हुए घड़े लोगे ?
नाई पहले तो थोड़ा डरा, पर दूसरे ही पल उसके मन में लालच आ गया और उसने यक्ष के दिये हुए घड़े लेने का निश्चय कर लिया।
नाई का उत्तर सुनकर उस आवाज ने फिर नाई से कहा, ‘‘ठीक है सातों घड़े तुम्हारे घर पहुँच जाएँगे।’’

नाई जब उस दिन घर पहुँचा, वाकई उसके कमरे में सात घड़े रखे हुए थे। नाई ने तुरन्त अपनी पत्नी को सारी बातें बताईं और दोनों ने घड़े खोलकर देखना शुरू किया। उसने देखा कि छः घड़े तो पूरे भरे हुए थे, पर सातवाँ घड़ा आधा खाली था।
नाई ने पत्नी से कहा—‘‘कोई बात नहीं, हर महीने जो हमारी बचत होती है, वह हम इस घड़े में डाल दिया करेंगे। जल्दी ही यह घड़ा भी भर जायेगा। और इन सातों घड़ों के सहारे हमारा बुढ़ापा आराम से कट जायेगा।
अगले ही दिन से नाई ने अपनी दिन भर की बचत को उस सातवें में डालना शुरू कर दिया। पर सातवें घड़े की भूख इतनी ज्यादा थी कि वह कभी भी भरने का नाम ही नहीं लेता था।

धीरे-धीरे नाई कंजूस होता गया और घड़े में ज्यादा पैसे डालने लगा, क्योंकि उसे जल्दी से अपना सातवाँ घड़ा भरना था।
नाई की कंजूसी के कारण अब घर में कमी आनी शुरू हो गयी, क्योंकि नाई अब पत्नी को कम पैसे देता था। पत्नी ने नाई को समझाने की कोशिश की, पर नाई को बस एक ही धुन सवार थी—सातवां घड़ा भरने की।
अब नाई के घर में पहले जैसा वातावरण नहीं था। उसकी पत्नी कंजूसी से तंग आकर बात-बात पर अपने पति से लड़ने लगी। घर के झगड़ों से नाई परेशान और चिड़चिड़ा हो गया।
एक दिन राजा ने नाई से उसकी परेशानी का कारण पूछा। नाई ने भी राजा से कह दिया अब मँहगाई के कारण उसका खर्च बढ़ गया है। नाई की बात सुनकर राजा ने उसका मेहताना बढ़ा दिया, पर राजा ने देखा कि पैसे बढ़ने से भी नाई को खुशी नहीं हुई, वह अब भी परेशान और चिड़चिड़ा ही रहता था।
एक दिन राजा ने नाई से पूछ ही लिया कि कहीं उसे यक्ष ने सात घड़े तो नहीं दे दिये हैं ? नाई ने राजा को सातवें घड़े के बारे में सच-सच बता दिया।

तब राजा ने नाई से कहा कि सातों घड़े यक्ष को वापस कर दो, क्योंकि सातवां घड़ा साक्षात लोभ है, उसकी भूख कभी नहीं मिटती।
नाई को सारी बात समझ में आ गयी। नाई ने उसी दिन घर लौटकर सातों घड़े यक्ष को वापस कर दिये।

घड़ों के वापस जाने के बाद नाई का जीवन फिर से खुशियों से भर गया था।

कहानी हमें बताती है कि हमें कभी लोभ नहीं करना चाहिए। भगवान ने हम सभी को अपने कर्मों के अनुसार चीजें दी हैं, हमारे पास जो है, हमें उसी से खुश रहना चाहिए। अगर हम लालच करे तो सातवें घड़े की तरह उसका कोई अंत नहीं होता।
पक्का भारतीय होने के लक्षण:-
1. होटल में खाने के बाद मुट्ठी भर सोंफ खाना।
2. हवाई यात्रा के बाद बैग से टैग नहीं उतारना।
3. सब्जी लेने के बाद मुफ़्त धनिये की मांग करना।
4.दीवाली पर मिले गिफ्ट को रिश्तेदार को सरका देना।
5. छह साल के बच्चे को 3 साल का बता कर आधी टिकट लेना।
6. रिमोट से लेकर मोबाइल तक की पीठ थोक कर चलाना।
7. शादी के कार्ड से गणेशजी उतारकर फ्रिज पर चिपकाना।
8. मोलभाव करते वक्त पिछली दुकान का हवाला देना।
9. गोलगप्पे खाने के बाद मुफ़्त में सुखी पापड़ी की जिद करना।
10. नई कार लेने के बाद छह महीने तक सीट की पन्नी नहीं उतारना।

😀😀😀


ये करवटों के सिलसिले कभी खत्म हो न पाएंगे
तेरे बिन हम दिलजले कभी चैन नहीं पाएंगे

ऐ चांद फासला बढ़ा, इतनी कि तुम खो जाओ
तेरी हसीन चांदनी में उन्हें हम भूल नहीं पाएंगे

बरसात के मौसम में शराबें तो पी ली हमने
क्या खबर थी भीगकर हम नशे में रह नहीं पाएंगे

आखिर किसी मुकाम पर मेरे मंजिल का निशां होगा
तेरी ऊंगली थामे बिना वहां तक चल नहीं पाएंगे


~~~मेरे जख्म गहरे हैं~~~

कुछ यादों के पहरे हैं
मोहब्बत के नखरे हैं
कदम बढाया जब भी हमने
ठोकर खाकर बिखरें हैं
पर हम गिरकर भी संभले हैं
मेरे जख्म गहरे हैं !

उजालों ने जब भी कश्मोकश में
अंधेरो से दोस्ती की है
हमने तन्हाई के आलम में
बेशक खुद से दुश्मनी की है
याद तेरे हैं , जजबात मेरे हैं
मेरे जख्म गहरे हैं !

मिलते मिलते बिछड़ा था कोई
मेरे दिल का टुकड़ा था कोई
आँखों में वो हँसता था
दिल में मेरे बसता था
अब यादों की परछाईं है
मीलो लम्बी तन्हाई है
अश्क भरे हैं दिल में मेरे
आँखों से मन के घावों तक
हर दर्द अब सहने हैं
मेरे जख्म गहरे हैं !

ज़िन्दगी के हर ख्वाब रुपहले हैं
कभी सुख कभी दुःख पहले हैं
हर सुख दुःख दिल को सहने हैं
ना किसी से कुछ कहने हैं
किसे कहें मेरे अपने हैं
मेरे जख्म गहरे हैं !

यह कविता क्यों ? ज़िन्दगी हर हाल में जिनी तो है सुख दुःख के अश्क पीने तो हैं हर जख्म भर जाते हैं वक़्त के मरहम से बस जियो ज़िन्दगी सच्चे मन से !

Thursday, July 28, 2016

कोई जाकर इन सडक पर बोर्ड
लगाने बालो को समझाओ
.
हर जगह लिखते है
घर पर आपका कोई
इंतजार कर रहा है
.
अगर लिखा जाए
घर पर बीबी इंतजार कर रही है
तो
बन्दे की स्पीड खुद ही कम हो जाएगी😊😂😜
एक गाँव के बाहर बने
शिवमंदिर मे चार-पाँच गंजेडी
रोज गाँजा पीते थे,
पिछले कई साल से जब भी वो
गाँजा पीते थे तब "बम भोले" का
जयकारा करते थे
चिल्लम की हर फुँक के साथ,
.
.
एक दिन खुद शिव जी उनके इस भक्ति
माध्यम से
प्रसन्न हो गये,
.
वो एक साधारण मनुष्य के रूप मे उन गंजेडीयो के
पास आ कर बैठ गये,
.
गंजेडीयो ने चिल्लम बनाना शुरू किया
तो एक गंजेडी ने शिव जी को
गाँजा आफर किया,
.
प्रायः गंजेडीयो मे मेहमानवाजी
बडे उच्च स्तर की होती है,
इसलिए गंजेडीयो ने पहला चिल्लम
भोलेनाथ को ही दिया,
.
एक फुँक मे ही शिव जी ने पुरा चिल्लम खाली कर
दिया ,
गंजेडीयो को लग गया कि ये कोई उच्च
कोटी का पीने वाला है,
फिर
उन्होने दुसरा चिल्लम बनाया
और फिर पहला मौका भोलेनाथ को दिया
,
शिव जी ने फिर एक फुँक मे ही पुरा चिल्लम खाली
कर दिया,
.
हर फुँक के बाद एक गंजेडी, भोलेनाथ से पुछता रहा :
"नशा आया" ?
.
जवाब मे शिव जी केवल मुस्कुरा के 'ना' मे सर हिला
देते,
.
ऐसे कर के जब पाँच चिल्लम खाली हो गये तो
गंजेडी आखिरी चिल्लम भरने लगे तभी उनमे से एक
गंजेडी ने पुछा : " क्यों अभी भी नशा नही हुआ ? "
.
तब शिव जी ने कहा : "जानते हो मै कौन हुँ ?"
.
गंजेडी : "कौन हो भाऊ ? "
.
शिव जी : " मै इस ससांर का सहाँरक, सभी भुत, प्रेत,
यक्ष, असुर, गंधर्व का स्वामी, ब्रम्हाड का
आदिवासी, हिमालय का निवासी हुँ,
आदि
अंत - प्रारंभ, नाश और नशा सब की सीमा
मुझसे
प्रारंभ होती है और मुझ पर ही खत्म, शकंर नाम है मेरा,
जिसको तुम लोग रोज याद करते हो "
.
.
.
.
गंजेडी जोर से चिल्लाया : " अब इसको और
चिल्लम
मत देना बे , गाँजा चढ गया इसको
😄 😄 😄 😄 😄 😄 बम बम भोले
टूट-टूट के जुड़ने का हुनर काम आया बहुत ।
आख़िर इसी तरह आराम आया बहुत ।।

मैं आज़ फ़िर ख़ुद को समेट रहा हूँ ।
तेरा ख़याल फ़िर कल शाम आया बहुत ।।

वो जिससे बिछड़ने में एक लम्हा लगा ।
वो याद एक उम्र तमाम आया बहुत ।।

ज़िन्दगी में ये मक़ाम आया बहुत ।
मेरे नाम के साथ तेरा नाम आया बहुत ।।

उसने पत्थर फेंके, मैंने दीवार बना ली ।
और इस तरह, वो मेरे काम आया बहुत ।।
*"Walking"*is the best excercise.

*Walk Away* 🚶 from arguments that lead you to nowhere but anger.

*Walk Away* 🚶 from people who deliberately put you down.

*Walk Away* 🚶 from any thought that reduces your worth.

*Walk Away* 🚶 from failures and fears that stiffle your dreams.

*Walk Away* 🚶 from people who do not care for you and who are opportunistic.

The more you *Walk Away* 🚶 from things that poison your soul, the happier your life will be.

🌹Good Morning🌹
When Valmiki completed his Ramayana, Narada wasn't impressed. 'It is good, but Hanuman's is better', he said.

'That monkey has written the Ramayana too!', Valmiki didn't like this at all, and wondered whose Ramayana was better. So he set out to find Hanuman.

In Kadali-vana, grove of plantains, he found Ramayana inscribed on seven broad leaves of a banana tree.

He read it and found it to be perfect. The most exquisite choice of grammar and vocabulary, metre and melody. He couldn't help himself. He started to cry.

'Is it so bad?' asked Hanuman
'No, it is so good', said Valmiki
'Then why are you crying?'
asked Hanuman

'Because after reading your Ramayana no one will read my Ramayana,' replied Valmiki.

Hearing this Hanuman simply tore up the seven banana leaves stating " Now no one will ever read Hanuman's Ramayana.'"

Hanuman said, 'You need your Ramayana more than I need mine. You wrote your Ramayana so that the world remembers Valmiki; I wrote my Ramayana so that I remember Ram.'

At that moment Valmiki realized how he had been consumed by the desire for validation through his work.

He had not used the work to liberate himself from the fear of invalidation. He had not appreciated the essence of Ram's tale to unknot his mind.
His Ramayana was a product of ambition; but Hanuman's Ramayana was a product of affection.
That's why Hanuman's Ramayana sounded so much better. Valmiki realized that "Greater than Ram..... is the idea of Ram!!!! "
( राम से बड़ा राम का नाम ).

This story tells us that.... There are people like Hanuman who don't want to be famous. They just do their jobs and fulfill their purpose.
So lets not be like Valmiki, thinking our ''Ramayana" is the best.

Tuesday, July 26, 2016

🌹बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ...

दिल के टूटने पर भी हँसना,

शायद "जिन्दादिली" इसी को कहते

 हैं।
ठोकर लगने पर भी मंजिल के लिए

 भटकना,

शायद "तलाश" इसी को कहते हैं।

सूने खंडहर में भी बिना तेल के दिये

 जलाना,

शायद "उम्मीद" इसी को कहते हैं।

टूट कर चाहने पर भी उसे न पा

 सकना,

शायद "चाहत" इसी को कहते हैं।

गिरकर भी फिर से खड़े हो जाना,

शायद "हिम्मत" इसी को कहते हैं।

उम्मीद, तलाश, चाहत, हिम्मत,

शायद "जिन्दगी" इसी को कहते हैं

 🌹
बेंक वाले पेन बांधकर रखते हैं

मेडिकल स्टोर वाले केंची बांधकर रखते हे

झेरोक्स वाले स्टेपलर बांधकर रखते हे

लड़कीयाँ मुंह बांधकर रखती हे

प्याऊ वाले लोटा बांधकर रखते हैं

बड़े बड़े घर वाले कुत्ता बांधकर रखते हैं

ओर  
पत्नी पति को बांधकर रखती है

 किसी को किसी पर भरोसा ही नहीं रहा बोलो । 😜😂

Sunday, July 24, 2016

🔰BATHING TIPS🔰

          अपने स्वस्थ एवं सुरक्षित जीवन के लिये इस पोस्ट को अवश्य पढे और पढ़ायें.

क्या आपने कभी अपने आस पास ध्यान से देखा या सुना है कि नहाते समय बुजुर्ग को लकवा लग गया?

 दिमाग की नस फट गई ( ब्रेन हेमरेज),
हार्ट अटैक आ गया |

 छोटे बच्चे को नहलाते समय वो बहुत कांपता रहता है, डरता है और माता समझती है की नहाने से डर रहा है,

 लेकिन ऐसा नहीँ है; असल मे ये सब गलत तरीके से नहाने से होता है ।

दरअसल हमारे शरीर में गुप्त विद्युत् शक्ति रुधिर (खून) के निरंतर प्रवाह के कारण पैदा होते रहती है,
जिसकी स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक दिशा ऊपर से आरम्भ होकर नीचे पैरो की तरफ आती है।

सर में बहुत महीन रक्त् नालिकाये होती है जो दिमाग को रक्त पहुँचाती है।

यदि कोई व्यक्ति निरंतर सीधे सर में ठंडा पानी डालकर नहाता है तो ये नलिकाएं सिकुड़ने या रक्त के थक्के जमने लग जाते हैं

और जब शरीर इनको सहन नहीं कर पाता तो ऊपर लिखी घटनाएं वर्षो बीतने के बाद बुजुर्गो के साथ होती है।

सर पर सीधे पानी डालने से हमारा सर ठंडा होने लगता है, जिससे हृदय को सिर की तरफ ज्यादा तेजी से रक्त भेजना पड़ता है, जिससे या तो बुजुर्ग में हार्ट अटैक या दिमाग की नस फटने की अवस्था हो सकती है।

ठीक इसी तरह बच्चे का नियंत्रण तंत्र भी तुरंत प्रतिक्रिया देता है जिससे बच्चे के काम्पने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है , और माँ समझती है की बच्चा डर रहा है ।

गलत तरीके से नहाने से बच्चे की हृदय की धड़कन अत्यधिक बढ़ जाती है स्वयं परीक्षण करिये।
.
तो आईये हम आपको नहाने का सबसे सही तरीका बताते है |

बाथरूम में आराम से बैठकर या खड़े होकर सबसे पहले पैर के पंजो पर पानी डालिये , रगड़िये, फिर पिंडलियों पर, फिर घुटनो पर, फिर जांघो पर पानी डालिये और हाथों से मालिश करिये|

फिर हाथो से पानी लेकर पेट को रगड़िये | फिर कंधो पर पानी डालिये, फिर अंजुली में पानी लेकर मुँह पर मलिए | हाथों से पानी लेकर सर पर मलिए।

 इसके बाद आप शावर के नीचे खड़े होकर या बाल्टी सर पर उड़ेलकर नहा सकते है।

इस प्रक्रिया में केवल 1 मिनट लगता है लेकिन इससे आपके जीवन की रक्षा होती है। और इस 1 मिनट में शरीर की विद्युत प्राकृतिक दिशा में ऊपर से नीचे ही बहती रहती है क्योंकि विद्युत् को आकर्षित करने वाला पानी सबसे पहले पैरो पर डाला गया है।

बच्चे को इसी तरीके से नहलाने पर वो बिलकुल कांपता डरता नहीं है।

कृपया इस पोस्ट को आगे भेजें ,यह छोटे बच्चों ,बुज़ुर्गों के लिये बहुत उपयोगी है |

  🙏🏻💞💐🙂

🙏🙏🙏जय माता दी 🙏🙏

      ।। आदमी की औकात ।।

एक माचिस की तिल्ली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!!

एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया ,
अपनी सारी ज़िन्दगी ,
परिवार के नाम कर गया।
कहीं रोने की सुगबुगाहट ,
तो कहीं फुसफुसाहट ,
....अरे जल्दी ले जाओ
कौन रोयेगा सारी रात...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात!!!!

मरने के बाद नीचे देखा ,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती
रो रहे थे।
नहीं रहा.. ........चला गया..........
चार दिन करेंगे बात.........
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात!!!!!

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा ,
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी ......
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.........
बाद में उस तस्वीर पे ,
जाले भी कौन करेगा साफ़...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!!!!

जिन्दगी भर ,
मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया ...
कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका
ले जाने की भी
 है हमारी औकात ???

हम चिंतन करें .........
क्या है हमारी औकात ???

🙏🙏🙏जय माता दी 🙏🙏

      ।। आदमी की औकात ।।

एक माचिस की तिल्ली,
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!!

एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया ,
अपनी सारी ज़िन्दगी ,
परिवार के नाम कर गया।
कहीं रोने की सुगबुगाहट ,
तो कहीं फुसफुसाहट ,
....अरे जल्दी ले जाओ
कौन रोयेगा सारी रात...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात!!!!

मरने के बाद नीचे देखा ,
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे .....
कुछ लोग ज़बरदस्त,
तो कुछ ज़बरदस्ती
रो रहे थे।
नहीं रहा.. ........चला गया..........
चार दिन करेंगे बात.........
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात!!!!!

बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा ,
सामने अगरबत्ती जलायेगा ,
खुश्बुदार फूलों की माला होगी ......
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धांजली होगी.........
बाद में उस तस्वीर पे ,
जाले भी कौन करेगा साफ़...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात !!!!!!

जिन्दगी भर ,
मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिए कम ,
अपनों के लिए ज्यादा जीया ...
कोई न देगा साथ...जायेगा खाली हाथ....
क्या तिनका
ले जाने की भी
 है हमारी औकात ???

हम चिंतन करें .........
क्या है हमारी औकात ???

: जो घर *हौसले* से बनाये जाते हैं उसे *"हाऊस"* कहते हैं...
जिन घरों में होम-हवन होते हैं उन्हें *"होम"* कहते हैं...
जिन घरों में *हवा* ज्यादा चलती है उन्हें *"हवेली"* कहते हैं...
जिन घरों में दीवारों के भी कान होते हैं उन्हें *"मकान"* कहते हैं...
और
जिन घरों के *लोन के इंस्टॉलमेंट भरते-भरते आदमी लेट जाता है उन्हें *"फ्लैट"*कहते हैं...
और जिन घरों में यह भी न पता हो कि *बगल* के घर में कौन रहता है उन्हें *बंगला* कहते हैं ।
😀😀😀😀😀😀😀😀
स्कूल में हिंदी के पीरियड में मास्टर जी ने पूछा,
“दु:ख तो अपना साथी है,
सुख तो आता जाता है ।”
अर्थ स्पष्ट करें ।

संता :
”बीवी हमेंशा घर में होती है,
साली आती जाती रहती है ।"

मास्टरजी ने भारतरत्न के लिए सिफारिश की है ॥
😜😜😜😝
♻♻♻♻♻♻♻♻♻
       👌 लाजवाब लाईन👌

  एक बार इंसान ने कोयल से कहा
         "तूं काली ना होती तो
           कितनी अच्छी होती"

              सागर से कहा:-
     "तेरा पानी खारा ना होता तो
           कितना अच्छा होता"

              गुलाब से कहा:-
        "तुझमें काँटे ना होते तो
           कितना अच्छा होता"

        तब तीनों एक साथ बोले:-
         "हे इंसान अगर तुझमें
  दुसरो की कमियाँ देखने की आदत
   ना होती तो तूं कितना अच्छा होता....
👌👌😊😊👌👌👌



हवाओ को रोक ले किसी में दम नही
मोहब्बत दिखा दे बना आज तक वो सक्स नही
तुम्हे शायद ज्ञान नही मोहब्बत और प्यार को अँधा कहते है क्यों
जितना भी कर लो खत्म नही होती
वहुत ही रंग है इसमें तुम्हे पता नही
ग़म आंसू चाहत लगाव विरह की अगन इसकी जुदाई तन्हाई मिलन रुसवाई बेवफाई कभी ख़ुशी की चमक कभी अश्क़ की बारिस कभी मिल्न की आस बुझा सके समुन्दर हो या कितनी हो बरसात । जितना बताया ये कुछ भी लिखू इसकी कहानी तो कम पड़े भर जाये पृथ्वी पाताल और सारा आकाश
इसे महसूस कर सकते हो देख नही सकते ये राज बताने वाला किया आपको मिला नही
सबने सुना है इसके ग़म की दास्तान
मोहब्बत हूँ मैं दूर रहो मुझसे तड़पोगे
मानते ही लोग
कहते रहे रहे इश्क़ में मरने वाले
ओ मोहब्बत खत्म हुआ वजूद हमारा तेरी खातिर
पर तू अमर ही रहेगी
अमर रहेगी तू रहेगी हमेशा
क्युकि
मोहब्बत जिंदाबाद

💐: हम वो नहीं जो दिल तोड़ देंगे, थाम कर हाथ साथ छोड़ देंगे, हम दोस्ती करते हैं पानी और मछली की तरह, जुदा करना चाहे कोई तो हम दम तोड़ देगे

💐: : नहीं छोड़ी कमी किसी भी रिश्ते को निभाने में
हमने....
आने वाले को,,दिल का रास्ता भी दिया
और...
जाने वाले को,,,रब का वास्ता भी दिया...!
...✍♡

💐: हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो,
मेरे होश ही उडा दिये।
मेरा हाथ देखकर बोला,
तुझे मोत नही किसी की चाहत
मारेगी!

💐: हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे,
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर;                                  
ए दिल! तुझे दुश्मनों की पहचान कहाँ,
तू हल्क़ा-ए-यारां में भी मोहतात रहा कर।


प्राइमरी स्कूल में मास्टर जी गहरी नींद मे सो रहे थे।

तभी कलेक्टर साहब आ गये।

मास्टर जी पकडे गये।

बहुत देर उठाने के बाद मास्टर की नींद खुली।

नीन्द खुलते ही मास्टर कलेक्टर को देखते ही बोले -
तो बच्चों, समझ गए ना, कुंभकर्ण ऐसे सोता था।

इसे कहते है गतिविधि आधारित शिक्षण।
कलक्टर साहब सन्न।

एक बच्चा जला देने वाली गर्मी में नंगे पैर
गुलदस्ते बेच रहा
था
.
लोग उसमे भी मोलभाव कर रहे थे।
.
एक सज्जन को उसके पैर देखकर बहुत दुःख हुआ, सज्जन
ने बाज़ार से नया जूता ख़रीदा और उसे देते हुए कहा
"बेटा
लो, ये जूता पहन लो"
.
लड़के ने फ़ौरन जूते निकाले और पहन लिए
.
उसका चेहरा ख़ुशी से दमक उठा था.
वो उस सज्जन की तरफ़ पल्टा
और हाथ थाम कर पूछा, "आप भगवान हैं?
.
"उसने घबरा कर हाथ छुड़ाया और कानों को हाथ लगा कर
कहा, "नहीं बेटा, नहीं, मैं भगवान
नहीं"
.
लड़का फिर मुस्कराया और कहा,
"तो फिर ज़रूर भगवान के दोस्त होंगे,
.
क्योंकि मैंने कल रात भगवान से कहा था
कि मुझे नऐ जूते देदें".
.
वो सज्जन मुस्कुरा दिया और उसके माथे को प्यार से
चूमकर अपने घर की तरफ़ चल पड़ा.
.
अब वो सज्जन भी जान चुके थे कि भगवान का दोस्त
होना
कोई मुश्किल काम नहीं..
.
खुशियाँ बाटने से मिलती है 💕
मंदिर में नहीं

राधे राधे-आज का भगवद चिन्तन,

🌷यदि इंसान अपने देखने के भीतरी दृष्टिकोण को बदल ले तो बाहर सब कुछ अच्छा और सुन्दर नजर आएगा। जैसा हम स्वयं होते हैं बैसा ही हमें सर्वत्र नजर आने लगता है। सीधी सी बात है जैसा आँखों पर चश्मा लगा होगा बैसा ही नजर आने लगेगा।

🌷संसार में बहुत लोगों को केवल बुराईयाँ, दोष, गंदगी और गलत चीजें ही नजर आती है। यह सब उनकी कट्टर धारणा के कारण होता है, स्वयं श्री कृष्ण भी सामने आकर प्रकट हो जाएँ तो उनमें भी सबसे पहले इन्हें दोष ही नजर आएगा।
 
🌷संसार में अच्छे, सज्जन, सत्कर्मी और श्रेष्ठ लोग भी बहुत हैं। धरती पर कई लोग तो ईस्वर चिन्तन करते-करते तीर्थ जैसे ही हो गए हैं। दोष दर्शन की जगह हम सबमें गुण दर्शन करने लग जाएँ तो हमारा स्वयं का विकास तो होगा ही दुनिया भी बड़ी खूबसूरत नजर आने लगेगी।

 🌷🙏🏻🌷Jay Dwarikadhish🌷🙏🏻🌷
   🌷🌷🌷 Radhe Radhe 🌷🌷🌷


Saturday, July 23, 2016

((((((((🙏प्राणप्रिये🙏)))))))

घर में रहीं तो,
" ये करो और वो करो "
पेपर भी नीचे गिरा तो,
" कितना घर फैलाते हो "

इसीलिए सोचा चार दिन को,
जाती हो तुम मायके
आराम और सुख से,
अकेला रहूँगा चैन से।।

ख़ुशी ख़ुशी छोड़ा उसे,
ट्रेन में दिया बिठाल।
क्या सुनाऊँ मित्रों,
तुमको अपना हाल।।

सुबह जागने पर सोचा,
सारा कचरा निकालूँ।
कोना कोना ढूँढ लिया पर,
मिला ना मुझको झाडू।।

सोचा कचरा पड़ा रहन दो,
दाँत घिसता हूँ बेस्ट।
ब्रश तुरंत मिल गया, पता नहीं,
कहाँ रख गई पेस्ट।।

नहाने को गरम पानी,
बढ़िया किया तैयार।
टॉवल बाहर रह गया,
किसे पुकारूँ यार।।

मिलता नहीं पतीला,
दूधवाला आया।
यहाँ वहाँ सब ढूँढ लिया,
ढक्कन ना मिल पाया।।

गया बनाने चाय तो,
नहीं मिल रही शक्कर।
गैस जलाऊँ कैसे,
बिगड़ गया है, लाइटर।।

दोपहर के भोजन में,
तेज हो गई भाजी।
कड़क कड़क रोटी बनी,
मन कैसे हो राजी।।

चावल गीला हो गया,
दाल बन गई पतली।
हर कौर के साथ आँख से,
आँसू की धारा निकली।।

किटकिट किटकिट करती रानी,
जब तुम घर में होतीं।
लेकिन जीवन सूना लगता,
पास नहीं जब तुम होतीं।।

मैं अगर शिव हूँ, तो,
तुम हो मेरी शक्ति।
पूजा मेरी संग तुम्हारे,
साथ साथ है भक्ति।।

सहचारिणी हे प्राणसखी,
विनती है ये मेरा गाना।
जब भी तुम जाओ कहीं,
संग मुझे भी ले जाना।।

संग मुझे भी ले जाना।।

Dedicated all beautiful ladies


☎📱CALL OF GOD📱☎

🐾मैं ऊपरवाला बोल रहा हूँ, जिसने ये पूरी दुनिया बनाई वो ऊपरवाला. 🐾

🌺तंग आ चुका हूँ मैं तुम लोगों से,

 🐾घर का ध्यान तुम न रखो और चोरी हो जाये तो, "ऊपरवाले तूने क्या किया" ?

🐾गाड़ी तुम तेज़ चलाओ और धक्का लग जाये तो, "ऊपरवाले........".

🐾 पढाई तुम न करो और फेल हो जाओ तो, "ऊपरवाले.........".

 ऐसा लगता है इस दुनिया में होने वाले हर गलत काम का जिम्मेदार मैं हूँ.

आजकल तुम लोगों ने एक नया फैशन बना लिया है, जो काम तुम लोग नहीं कर सकते, उसे करने में मुझे भी असमर्थ बता देते हो!

🐾ऊपरवाला भी भ्रष्टाचार नहीं मिटा सकता,
🐾ऊपरवाला भी महंगाई नहीं रोक सकता,

ये सब क्या है?
🐾भ्रष्टाचार किसने बनाया?
 मैंने?
🐾किससे रिश्वत लेते देखा है तुमने मुझे?

🐾मैं तो हवा, पानी, धुप, आदि सबके लिए बराबर देता हूँ,

🐾 कभी देखा है कि ठण्ड के दिनों में अम्बानी के घर के ऊपर मैं तेज़ धुप दे रहा हूँ, या गर्मी में सिर्फ उसके घर बारिश हो रही है ?

🐾उल्टा तुम मेरे पास आते हो रिश्वत की पेशकश लेकर,
कभी लड्डू,
कभी पेड़े,
कभी चादर.
🐾और हॉं,
आइन्दा से मुझे लड्डू की पेशकश की तो तुम्हारी खैर नहीं,
🐾मेरे नाम पे पूरा डब्बा खरीदते हो,
एक टुकड़ा मुझपर फेंक कर बाकि खुद ही खा जाते हो!

🐾ये महंगाई किसने बनाई?
मैंने?
🐾मैंने सिर्फ ज़मीन बनाई,
उसे "प्लाट" बनाकर बेचा किसने?

🐾मैंने पानी बनाया,
उसे बोतलों में भरकर बेचा किसने?

🐾मैंने जानवर बनाये,
उन्हें मवेशी कहकर बेचा किसने?

🐾मैंने पेड़ बनाये,
उन्हें लकड़ी कहकर बेचा किसने?

🐾मैंने आज तक तुम्हे कोई वस्तु बेचीं?
🐾किसी वस्तु का पैसा लिया?

सब चीज़ों में कसूर मेरा निकालते हो।
अभी भी समय है
सुधर जाओ
वरना
फिर मत कहना
🐾ये प्रलय क्यूँ आया ।

Awesome ☝ must read

👍👍

*चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं*

मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

*दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण*

आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 *मंदिर में घंटा लगाने का कारण*

जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

 *भगवान की मूर्ति*

मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।

♦♦♦♦♦♦♦♦

 *परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण*

हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।

♦🌹♦🌷♦🌺♦🍁


_*QUICK MANAGEMENT LESSON*_ :

एक बैंक लूट के दौरान लुटेरों के मुखिया ने बैंक में मौजूद लोगों को चेतावनी देते हुए कहा :- यह पैसा देश का है और जान आपकी अपनी। सब लोग तुरंत लेट जाओ l
डर कर सब लोग लेट गए……

इसे कहते हैं………
_*MIND CHANGING CONCEPT*_

लुटेरों का एक साथी जो कि Degree होल्डर था, वह बोला :- पैसे गिन लें ?
मुखिया ने कहा :- बेवकूफ, वो टीवी पर न्यूज में देख लेना।

इसे कहते हैं………
_*EXPERIENCE*_

लुटेरे 20 लाख रुपए लेकर भाग गए।
बैंक अधिकारी ने कहा :- एफ.आई.आर. कराएं ?
मैनेजर बोला :- 10 लाख और निकाल लो और जो हमने 50 लाख का गबन किया है, वह भी इस लूट में जोड़ दो l

इसे कहते हैं………
_*OPPORTUNITY*_

टीवी पर न्यूज आई :- बैंक में 80 लाख की लूट।
लुटेरों ने कई बार रुपये गिने, पर 20 लाख ही निकले।

उनको समझ में आ गया कि इतने जोखिम के बाद उनको 20 लाख ही मिले,
जबकि मैनेजर ने बैठे-बैठे 60 लाख यूं ही बना लिए l

इसे कहते हैं………
_*MANAGEMENT*_.......

मॉ तुलसी कौन हैं पढ़ें जरुर
🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂

तुलसी एक लड़की थी जिसका नाम
वृंदा था राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन
से ही भगवान विष्णु
जी की भक्त
थी.बड़े ही प्रेम से भगवान
की सेवा,पूजा किया करती थी.जब
वे बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस
कुल में दानव राज जलंधर से हो गया,जलंधर समुद्र
से उत्पन्न हुआ
था.वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने
पति की सेवा किया करती थी,
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब
जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा -
स्वामी आप युध्द पर जा रहे है आप
जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठकर
आपकी जीत के लिये
अनुष्ठान करुंगी, और जब तक आप
वापस नहीं आ जाते में अपना संकल्प
नही छोडूगीं, जलंधर
तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर
पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव
से देवता भी जलंधर
को ना जीत सके सारे देवता जब हारने
लगे तो भगवान विष्णु जी के पास गये,
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान
कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त
है में उसके साथ छल नहीं कर
सकता पर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय
भी तो नहीं है अब आप
ही हमारी मदद कर सकते
है.
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और
वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा,वे तुरंत
पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे
ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ
ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काटकर अलग
कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने
देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये
जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है ?
उन्होने पूछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मेने
किया,तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ
ना बोल सके, वृंदा सारी बात समझ
गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के
हो जाओ,भगवान तुंरत पत्थर के हो गये
सबी देवता हाहाकार करने लगे
लक्ष्मी जी रोने लगे और
प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान
को वापस वैसा ही कर दिया और अपने
पति का सिर लेकर वे
सती हो गईं !
उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप
इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से
तुलसी जी के साथ
ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग
स्वीकार नहीं करुगा. तब से
तुलसी जी कि पूजा सभी करने
लगे, और
तुलसी जी का विवाह
शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में
किया जाता है.देवउठनी एकादशी के
दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है.....
🌿🌾🌿🌾🌿🌾🌿🌾🌿🌾
इस कथा को कम से कम दो लोगोंको अवश्यय सुनाएें आप को पुण्य अवश्य मिलेगा !

🙏जय श्री राधे 🙏


*कभी हमारे जहाज भी चला करते थे।*
हवा में भी।
पानी में भी।

*दो दुर्घटनाएं हुई।*
*सब कुछ ख़त्म गया।*

एक बार क्लास में हवाई जहाज उड़ाया।
टीचर के सिर से टकराया।
स्कूल से निकलने की नौबत आ गई।
बहुत फजीहत हुई।
कसम दिलाई गई।
औऱ जहाज उडाना छूट गया।

वारिश के मौसम में,मां ने अठन्नी दी।
चाय के लिए दूध लाना था।कोई मेहमान आया था।
हमने गली की नाली में तैरते अपने जहाज में बिठा दी।
तैरते जहाज के साथ हम चल रहे थे।
ठसक के साथ।खुशी खुशी।
अचानक तेज बहाब आया।
जहाज डूब गया।
साथ में अठन्नी भी डूब गई।
ढूंढे से ना मिली।
मेहमान बिना चाय पीये चला गया।
फिर जमकर ठुकाई हुई।
घंटे भर मुर्गा बनाया गया।
औऱ हमारा पानी में जहाज तैराना भी बंद हो गया।

आज प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें उन दिनों की याद दिलाती हैं।

बच्चे ने दस हजार का मोबाइल गुमाया तो मां बोली, कोई
बात नहीं, पापा दूसरा दिला देंगे।
हमें अठन्नी पर मिली सजा याद आ गई।

फिर भी आलम यह है कि आज भी हमारे सर मां-बाप के चरणों में श्रद्धा से झुकते हैं।
औऱ हमारे बच्चे 'यार पापा,यार मम्मी' कहकर बात करते हैं।
हम प्रगतिशील से प्रगतिवान हो गये हैं।

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन।।


अज़ीज इतना ही रखो....
अज़ीज इतना ही रखो जो हम सम्भल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए ।

मुहब्बतों में अजब है दिलों का धड़कना सा
न जाने कौनसा रस्ता बदल जाए ।

मैं वो चिराग़-ए-सरे राह गुज़ार देता हूं,
जो अपनी ज़ात की तन्हाइयों में जल जाए ।

हर एक लम्हा यही आरज़ू यही हसरत,
जो आग दिल में है वो शेर में ढल जाए ।

अज़ीज इतना ही रखो जो सम्भल जाए,
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए ।।
हम संभलकर भी चले तो ठोंकरों में आ गये,
आप क्यों पत्थर उठाकर रास्तों में आ गये ।

यूं सितारे टूटते हैं, नाचती है रौशनी,
जैसे तेरे तमाम वादें तजरिबां में आ गये ।

जो किसी के कुछ नहीं लगते हैं, उनसे पूछ लो,
किसकी आहट पर तड़क कर खिड़कियों में आ गये ।

चांदनी रातें, सुलगते पेड़ अपनी वहशतें,
कैसे-कैसे रंग अपने रतजगों में आ गये ।

सुबह की पहली किरन है हम, चिराग़े-शब नहीं,
क्या हुआ जो हम बिखर के आंधियों में आ गये ।।


गुरु चाणक्य ने कहा था..

आपको एक ही दुश्मन से बार-बार युद्ध नही लड़ना चाहिए वरना आप अपने तमाम 'युद्ध कौशल' उसे सिखा देंगे।

पति पत्नी के संबंधो में भी यही होता है। दोनों योद्धा जिन्दगी भर लड़ते-लड़ते एक दुसरे के वारों से इतना परिचित हो जाते हैं कि युद्ध जिन्दगी भर चलता रहता है पर हल कुछ निकलता नही।

शिष्य - तो फिर गुरुजी, क्या करना चाहिए..?

गुरु - दुश्मन बदलते रहना चाहिये।
😜😜

*LIFE AFTER 55*
An interesting article.

*_Life can begin at 55,_*
It is all in your hands!
Many people feel unhappy, health-wise and security-wise, after 60 years of age, owing to the diminishing importance given to them and their opinions. But, it need not be so, if only we understand the basic principles of life and follow them scrupulously. Here are ten mantras to age gracefully and make life after retirement pleasant.

1. *Never say I am aged'* :
There are three ages, chronological, biological, and psychological. The first is calculated based on our date of birth; the second is determined by the health conditions; the third is how old we feel we are. While we don't have control over the first, we can take care of our health with good diet, exercise and a cheerful attitude. A positive attitude and optimistic thinking can reverse the third age.

2. *Health is Wealth:*
If you really love your kith and kin, taking care of your health should be your priority. Thus, you will not be a burden to them. Have an annual health check-up and take the prescribed medicines regularly. Do take health insurance coverage.

3. *Money is important:*
Money is essential for meeting the basic necessities of life, keeping good health and earning family respect and security. Don't spend beyond your means even for your children. You have lived for them all through and it is time you enjoyed a harmonious life with your spouse. If your children are grateful and they take care of you, you are blessed. But, never take it for granted.

4. *Relaxation and Recreation:*
The most relaxing and recreating forces are a healthy religious attitude, good sleep, music and laughter. Have faith in God, learn to sleep well, love good music and see the funny side of life.

5. *Time is Precious:*
It is almost like holding a horses' reins. When they are in your hands, you can control them. Imagine that everyday you are born again. Yesterday is a cancelled cheque. Tomorrow is a promissory note. Today is ready cash - use it profitably. Live this moment; live it fully, now, in the present time.

6. *Change is the only Permanent Thing:*
We should accept change - it is inevitable. The only way to make sense out of change is to join in the dance. Change has brought about many pleasant things. We should be happy that our children are blessed.

7. *Enlightened Selfishness:*
All of us are basically selfish. Whatever we do, we expect something in return. We should definitely be grateful to those who stood by us. But, our focus should be on the internal satisfaction and the happiness we derive by doing good for others, without expecting anything in return. Perform a random act of kindness daily.

8. *Forget and Forgive:*
Don't be bothered too much about others' mistakes. We are not spiritual enough to show our other cheek when we are slapped in one. But for the sake of our own health and happiness, let us forgive and forget them. Otherwise, we will be only increasing our blood pressure.

9. *Everything has a Purpose:*
Take life as it comes. Accept yourself as you are and also accept others for what they are. Everybody is unique and is right in his own way.

10. *Overcome the Fear of Death:*
We all know that one day we have to leave this world. Still we are afraid of death. We think that our spouse and children will be unable to withstand our loss. But the truth is no one is going to die for you; they may be depressed for some time. Time heals everything and they will go on.

*Pass to all 40 plus you may know* 🙏

कल मैं दुकान से जल्दी घर चला आया। आम तौर पर रात में 10 बजे के बाद आता हूं, कल 8 बजे ही चला आया।

सोचा था घर जाकर थोड़ी देर पत्नी से बातें करूंगा, फिर कहूंगा कि कहीं बाहर खाना खाने चलते हैं। बहुत साल पहले, , हम ऐसा करते थे।

घर आया तो पत्नी टीवी देख रही थी। मुझे लगा कि जब तक वो ये वाला सीरियल देख रही है, मैं कम्यूटर पर कुछ मेल चेक कर लूं। मैं मेल चेक करने लगा, कुछ देर बाद पत्नी चाय लेकर आई, तो मैं चाय पीता हुआ दुकान के काम करने लगा।

अब मन में था कि पत्नी के साथ बैठ कर बातें करूंगा, फिर खाना खाने बाहर जाऊंगा, पर कब 8 से 11 बज गए, पता ही नहीं चला।

पत्नी ने वहीं टेबल पर खाना लगा दिया, मैं चुपचाप खाना खाने लगा। खाना खाते हुए मैंने कहा कि खा कर हम लोग नीचे टहलने चलेंगे, गप करेंगे। पत्नी खुश हो गई।

हम खाना खाते रहे, इस बीच मेरी पसंद का सीरियल आने लगा और मैं खाते-खाते सीरियल में डूब गया। सीरियल देखते हुए सोफा पर ही मैं सो गया था।

जब नींद खुली तब आधी रात हो चुकी थी।
बहुत अफसोस हुआ। मन में सोच कर घर आया था कि जल्दी आने का फायदा उठाते हुए आज कुछ समय पत्नी के साथ बिताऊंगा। पर यहां तो शाम क्या आधी रात भी निकल गई।

ऐसा ही होता है, ज़िंदगी में। हम सोचते कुछ हैं, होता कुछ है। हम सोचते हैं कि एक दिन हम जी लेंगे, पर हम कभी नहीं जीते। हम सोचते हैं कि एक दिन ये कर लेंगे, पर नहीं कर पाते।

आधी रात को सोफे से उठा, हाथ मुंह धो कर बिस्तर पर आया तो पत्नी सारा दिन के काम से थकी हुई सो गई थी। मैं चुपचाप बेडरूम में कुर्सी पर बैठ कर कुछ सोच रहा था।

पच्चीस साल पहले इस लड़की से मैं पहली बार मिला था। पीले रंग के शूट में मुझे मिली थी। फिर मैने इससे शादी की थी। मैंने वादा किया था कि सुख में, दुख में ज़िंदगी के हर मोड़ पर मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।

पर ये कैसा साथ? मैं सुबह जागता हूं अपने काम में व्यस्त हो जाता हूं। वो सुबह जागती है मेरे लिए चाय बनाती है। चाय पीकर मैं कम्यूटर पर संसार से जुड़ जाता हूं, वो नाश्ते की तैयारी करती है। फिर हम दोनों दुकान के काम में लग जाते हैं, मैं दुकान के लिए तैयार होता हूं, वो साथ में मेरे लंच का इंतज़ाम करती है। फिर हम दोनों भविष्य के काम में लग जाते हैं।

मैं एकबार दुकान चला गया, तो इसी बात में अपनी शान समझता हूं कि मेरे बिना मेरा दुकान का काम नहीं चलता, वो अपना काम करके डिनर की तैयारी करती है।

देर रात मैं घर आता हूं और खाना खाते हुए ही निढाल हो जाता हूं। एक पूरा दिन खर्च हो जाता है, जीने की तैयारी में।

वो पंजाबी शूट वाली लड़की मुझ से कभी शिकायत नहीं करती। क्यों नहीं करती मैं नहीं जानता। पर मुझे खुद से शिकायत है। आदमी जिससे सबसे ज्यादा प्यार करता है, सबसे कम उसी की परवाह करता है। क्यों?
 

कई दफा लगता है कि हम खुद के लिए अब काम नहीं करते। हम किसी अज्ञात भय से लड़ने के लिए काम करते हैं। हम जीने के पीछे ज़िंदगी बर्बाद करते हैं।

कल से मैं सोच रहा हूं, वो कौन सा दिन होगा जब हम जीना शुरू करेंगे। क्या हम गाड़ी, टीवी, फोन, कम्यूटर, कपड़े खरीदने के लिए जी रहे हैं?

मैं तो सोच ही रहा हूं, आप भी सोचिए

कि ज़िंदगी बहुत छोटी होती है। उसे यूं जाया मत कीजिए। अपने प्यार को पहचानिए। उसके साथ समय बिताइए। जो अपने माँ बाप भाई बहन सागे संबंधी सब को छोड़ आप से रिश्ता जोड़ आपके सुख-दुख में शामिल होने का वादा किया उसके सुख-दुख को पूछिए तो सही।

एक दिन अफसोस करने से बेहतर है, सच को आज ही समझ लेना कि ज़िंदगी मुट्ठी में रेत की तरह होती है। कब मुट्ठी से वो निकल जाएगी, पता भी नहीं चलेगा....✍

*आज मुलाकात हुई*
*जाती हुई उम्र से*

*मैने कहा जरा ठहरो तो*
*वह हंसकर इठलाते हुए बोली*
*मैं उम्र हूँ ठहरती नहीं*
*पाना चाहते हो मुझको*
*तो मेरे हर कदम के संग चलो*

*मैंने मुस्कराते हुए कहा*
*कैसे चलूं मैं बनकर तेरा हमकदम*
*संग तेरे चलने पर छोड़ना होगा*
*मुझको मेरा बचपन*
*मेरी नादानी, मेरा लड़कपन*
*तू ही बता दे कैसे समझदारी की*
*दुनियां अपना लूँ*
*जहाँ हैं नफरतें, दूरियां,*
*शिकायतें और अकेलापन*

*उम्र ने कहा*
*मैं तो दुनियां ए चमन में*
*बस एक “मुसाफिर” हूँ*
*गुजरते वक्त के साथ*
*इक दिन यूं ही गुजर जाऊँगी*
*करके कुछ आँखों को नम*
*कुछ दिलों में यादें बन बस जाऊँगी*

🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟

👆किसी का दिल दुखाने वाली बात न कहें , वक्त बीत जाता है, बातें याद रहती हैं ।
👆लंबी जबान और लंबा धागा हमेशा उलझ जाता हैं ।
  👆इंसान की सबसे बड़ी सम्पत्ति उसका मनोबल है ।
👆सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है
👆कमजोर तब रूकते हैं जब वे थक जाते हैं और विजेता तब रूकते हैं जब वे जीत जाते हैं ।
👆हमारी समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है, सिवाय हमारे ।
👆काम में ईश्वर का साथ मांगो लेकिन ईश्वर ये काम कर दे, ऐसा मत मांगो ।
👆अगर मैं सुखी होना चाहता हूं तो कोई मुझे दुखी नहीं कर सकता ।
 👆यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने में सफल होता हैं तो यकीनन आप उसकी हाथ की कठपुतली हैं ।
👆जिसके पास उम्मीद हैं वह लाख बार हार के भी नहीं हारता ।
👆वह अच्छाई जो बुरा करने वाले को मदद करें , अच्छाई नहीं होती हैं।

हसना पेट पकड के..
😄😄😄
👪 एक परिवार को फ़ोन का
बिल बहुत अधिक मिला...
तो परिवार के मुखिया ने इस
पर चर्चा के लिए घर के सब
लोगों को बुलाया।

👨 पिता: यह तो हद हो गई।
 इतना ज़्यादा बिल!... मैं तो
 घर का फ़ोन यूज़ ही नही
ं करता... सारी बातें
 ऑफ़िस के फ़ोन से करता हूँ।

👵 माँ: मैं भी ज़्यादातर
ऑफ़िस का ही फ़ोन यूज़
करती हूँ। सहेलियों के साथ
 इतनी सारी बातें घर के फ़ोन से करूंगी तो कैसे चलेगा।

👦 बेटा: माँ आपको तो
पता ही है कि मैं सुबह सात
 बजे घर से ऑफ़िस के लिए
निकल जाता हूँ। जो बात करनी
 होती है ऑफ़िस के फ़ोन से
करता हूँ।

👧 बेटी: मेरी कम्पनी ने मेरी
 डेस्क पर भी फ़ोन दिया हुआ
 है..मैं तो सारी कॉल्स उसी से
करती हूँ। फिर ये घर के फ़ोन
का बिल इतना आया कैसे?

👶 घर की नौकरानी चुपचाप
खड़ी सुन रही थी। सबकी प्रश्न
भरी निगाहें नौकरानी की ओर
उठीं...
.
.
.
😡 नौकरानी बोली: “तो और
 क्या... आप सब भी तो अपने
काम करने की जगह का
फ़ोन इस्तेमाल करते हैं... "



😰"मैंने भी वही किया तो क्या?”😜😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂

😢 very touching 👇

जब बचपन था, तो जवानी एक ड्रीम था...
जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !!

जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...

आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !!

कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था...

 आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है... !!!

स्कूल में जिनके साथ ज़गड़ते थे, आज उनको ही इंटरनेट पे तलाशते है... !!

ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है...
बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है...

काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल..

.काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!


👘 जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|🌀🌀

✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |❤💚💙💜

👻 जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..👥


👀जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |


🚲सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |🌙🚲


🔦💡On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |


🍏🍎🍉🍑🍈 फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |


🍰🎂🍧🏆🎉🎁 बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

🔆फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |


🎭 सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?


और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?⚡⚡


🎒🎐ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो💕


भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....☔

वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..🌊🌊🌊
..............

रावण जब रणभूमि में मृत्युशय्या पर अंतिम सांसे ले रहा था तब उसने श्री राम से कहा-

🏆'राम मैं तुमसे हर बात में श्रेष्ठ
      हूँ।

🏆जाति मेरी ब्राह्मण हैं, जो तुमसे
     श्रेष्ठ है।

🏆आयु में भी तुमसे बड़ा हूँ।

🏆मेरा कुटुम्ब तुम्हारे कुटुम्ब से
     बड़ा है।

🏆मेरा वैभव तुमसे अघिक हैं।

🏆तुम्हारा महल स्वर्णजड़ित है
     परन्तु मेरी पूरी लंका ही स्वर्ण
     नगरी है।

🏆मैं बल और पराक्रम में भी तुमसे
     श्रेष्ठ हूँ।

🏆मेरा राज्य तुम्हारे राज्य से
     बड़ा है।

🏆ज्ञान और तपस्या में तुमसे श्रेष्ठ
     हूँ।

🏆इतनी श्रेष्ठताओं के होने पर भी
     रणभूमि में मैं तुमसे परास्त हो
     गया।


👉👉सिर्फ इसलिये कि
तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ है,
और
मेरा भाई मेरे खिलाफ..............????

🙏 बिना भाई के साथ के जब रावण हार सकता है तो हम किस घमंड में है ..?
सदा साथ रहिये सदा विजय रहिये ......
सभी को कोशिश करनी चाहिए की कभी परिवार टूटे नही।


अंदरुनी एकता बनाये रखो । क्योकि-

''किसी भी पेड़ के कटने का किस्सा न होता,
अगर कुल्हाड़ी के पीछे लकड़ी का हिस्सा न होता ।''


💐💐💐💐💐💐💐💐💐
यह संदेश हर परीवार को समर्पित
 👌👌👌👌👌

Departure Instructions Note from
Wife to Husband...

I am going to My Mom's Place for 6-7 days with kids &
These are the instructions and warning for you. . ⤵⤵⤵

1 - No need to call your friends and cousins.
Last time I got 4 large pizza bills beneath the sofa... 🍕🍕👫👬

2 - Don't forget mobile on the soap holder in the bathroom like last time...
Why would anyone need a mobile in the bathroom.?? 📱📱🛀🚾

3 - Keep your specs in the box..
Last time around it was found in the refrigerator. 👓👓

4 - Salary already paid to maid.
No need to be extra generous. 👯👯

5 - Don't disturb neighbors early in the morning asking if they have got newspaper or not??
Our newspaper vendor is different from theirs..
And our laundry person and milkman are also different. 📰📰🏠🏠

6 - Your Underwear are on left side of wardrobe and on right side are kid's...
Like last time, don't say I was uncomfortable at work.... 🏃🏃

7 - All reports have been checked and you are alright.
No need to go to that lady doctor again and again. 👩💉💊

8 - My sister and Bhabhi's birthdays have gone last month which you already attended.
No need to go to them at midnight and wish belated happy birthday.. 🎂🎁💏

9 - Have cut off WiFi for 10 days.
So sleep early.... 😴😴😴

10 - Stop smiling and being happy...
as Mrs. Khanna, Mrs. Avasthi, Mrs. Kulkarni, Mrs. Trivedi, Mrs. Ansari, Mrs. Rastogi, Mrs. Chatteerjee...
They all will be out of station in this period.... 💃💃💃

And last but not the least.

11 - Don't try to be oversmart..
I will be back anytime
without informing you
👊👊👊😝😎😎😎
.
.
.
Happy vacations



☄💫☄💫☄💫☄💫
 *☄कुछ विचारणीय बातें*

✍"जो मित्र आगे बढ़कर
     होटल के बिल का पेमेंट
     करतें हैं,
     वो इसलिए नहीं कि,
     उनके पास खूब पैसा है;

      बल्कि इसलिए कि……

      *उन्हें पैसों से अधिक*
      *अपने मित्र प्रिय हैं…!*

✍"जो लोग हर काम में
     आगे रहतें हैं, वो इसलिए
     नहीं कि, वे मूर्ख होते हैं;

     बल्कि
     इसलिए कि उन्हें……

     *अपनी जिम्मेदारी का*
     *अहसास होता है…!!*

✍"जो लोग लड़ाई हो चुकने
     बाद भी क्षमा माँग लेते
     हैं,
     वो इसलिए नहीं कि, वो
     गलत थे;

     बल्कि इसलिए कि....

     *उन्हें अपने लोगों की*
     *परवाह होती है…!!*

✍"जो लोग आपकी मदद
     करने के लिए आगे आते
     हैं, वो इसलिए नहीं कि,
     आपका उनपर कोई कर्ज
     बाकी है;

     बल्कि इसलिए कि वे…

   *आपको अपना मानते हैं।*

✍"जो लोग आपको रोज
     "सुप्रभात" अथवा
     "शुभरात्रि" का मैसेज
     भेजते हैं, वो इसलिए नहीं
     कि, वे फुरसतिया होतें हैं;

     बल्कि इसलिए कि..

      *उनमें सतत् आपके*
      *संपर्क में बनें रहने की*
      *भावना होती है…!!*
        🙏🌻
       सुप्रभात
☄💫☄💫☄💫☄💫


Friday, July 22, 2016

Awesome post must read..

How a son/daughter thinks of his/her father at different age.....

At 6 years....:My Dad is great!

At 8 years....:My Daddy knows everything.

At 12 years.....: My Daddy is good but he is short tempered.

At 14 years....: My Daddy was nice to me when I was young.

At 18 years.....: My Daddy is not in line with the current times. Frankly he does not know anything.

At 20 years...: My Daddy is becoming increasingly cranky and unreasonable.

At 23 years....: Oh! It is becoming difficult to tolerate Daddy! Wonder how Mother puts up with him!

At 25 years...: Daddy is objecting to everything.. Don't know when will he understand the world.

At 32 years...: It is becoming difficult to manage my son! I used to be so scared of my Dad when I was young...

At 40 years...: Daddy brought me up with so much discipline.. I wonder how he managed to handle the younger generation!..

At 45 years....: I am baffled as to how my Daddy brought us up..

At 50 years...: My Daddy faced so many hardship to bring us up...(we were 3 brothers and 2 sisters) I am unable to manage a single child!

At 55 years...: My Daddy was so far sighted and planned so many things for us. Even at this old age, he is able to control things. He is one of his kind and unique.

At last...: ' My Daddy was great!

Don't take so many years.....Realize it on time...
 Education is not a Name of Any Degree or Certificate that can be shown to others as a Proof ...
 But ...
Education is the name of Our Attitude, Actions, Language , Behavior & Personality with Others in Real Life ... !!

And thus it is Rightly said that ...

To be Born with a Personality is a Gift from your Parents ...
But ...
To Die as a Personality is an Achievement of your Own and a Return Gift to your Parents ... !!🙏

Awesome post must read..

How a son/daughter thinks of his/her father at different age.....

At 6 years....:My Dad is great!

At 8 years....:My Daddy knows everything.

At 12 years.....: My Daddy is good but he is short tempered.

At 14 years....: My Daddy was nice to me when I was young.

At 18 years.....: My Daddy is not in line with the current times. Frankly he does not know anything.

At 20 years...: My Daddy is becoming increasingly cranky and unreasonable.

At 23 years....: Oh! It is becoming difficult to tolerate Daddy! Wonder how Mother puts up with him!

At 25 years...: Daddy is objecting to everything.. Don't know when will he understand the world.

At 32 years...: It is becoming difficult to manage my son! I used to be so scared of my Dad when I was young...

At 40 years...: Daddy brought me up with so much discipline.. I wonder how he managed to handle the younger generation!..

At 45 years....: I am baffled as to how my Daddy brought us up..

At 50 years...: My Daddy faced so many hardship to bring us up...(we were 3 brothers and 2 sisters) I am unable to manage a single child!

At 55 years...: My Daddy was so far sighted and planned so many things for us. Even at this old age, he is able to control things. He is one of his kind and unique.

At last...: ' My Daddy was great!

Don't take so many years.....Realize it on time...
 Education is not a Name of Any Degree or Certificate that can be shown to others as a Proof ...
 But ...
Education is the name of Our Attitude, Actions, Language , Behavior & Personality with Others in Real Life ... !!

And thus it is Rightly said that ...

To be Born with a Personality is a Gift from your Parents ...
But ...
To Die as a Personality is an Achievement of your Own and a Return Gift to your Parents ... !!🙏

Thursday, July 21, 2016

एक लड़का बहुत कमज़ोर था! जिस्मानी तौर पर बिलकुल हड्डियों का ढांचा।

वो बाज़ार से गुज़र रहा था तो एक बहुत ही अमीर और ख़ूबसूरत लड़की उसके पास अपनी क़ीमती कार में आकर रुकी और उससे अपने साथ अपने घर चलने की पेशकश की।

बेचारा हैरान भी था और ख़ुश भी के इतनी अमीर, इतनी ख़ूबसूरत लड़की क्या क़यामत ढा रही है। काश के इससे मेरी शादी हो जाये तो मैं भी अमीर हो जाऊँ और ख़ूब ऐश करूँ।

वो राज़ी हो गया और लड़की के साथ उसके घर चला गया। उसका बंगला बहुत आलीशान था। बहुत सारे नौकर-चाकर भी थे।

लड़की ने उसे ले जा कर ड्राइंग रूम में बिठा दिया और इंतज़ार करने को कहा। उस लड़के के तो दिल में लड्डू फ़ूट रहे थे। मुस्तक़बिल के हसीं ख़्वाब खुली आँखों से देख रहा था।

कुछ देर के बाद वो लड़की अपने दो बच्चों के साथ आई और उनसे कहा,

"देखो बच्चों, अगर बॉर्नवीटा नहीं पिओगे तो ऐसे ही हो जाओगे!"

ग़ौर से पढ़ने का शुक्रिया.. 🤓
😜😜😜

इस ओर से आता हूं मैं, उस ओर से आती हो तुम
यूं रोज ही मेरे रू ब रू, आके गुजर जाती हो तुम

नहीं जानता क्या नाम है तेरा ऐ हसीन अजनबी
मुझसे मगर दो नर्गिसी आंखें तो मिलाती हो तुम

हमने तुझे देखा है जब, तन्हा सी ही लगती हो क्यूं
मेरे दिल में यही सवाल बार-बार जगाती हो तुम

बिखरी हुई लगती हो क्यूं, जरा जुल्फें तो संवार लो
ये कौन सा गम है जिसे सूरत पे सजाती हो तुम

मौका मिलेगा जो कहीं तो पूछ लूंगा तुमसे कभी
क्या दर्द के शायर से अपना दिल लगाती हो तुम

I
एक दिन रुक्मणी ने भोजन के बाद,
श्री कृष्ण को दूध पीने को दिया।

दूध ज्यदा गरम होने के कारण
श्री कृष्ण के हृदय में लगा
और
उनके श्रीमुख से निकला-
" हे राधे ! "

सुनते ही रुक्मणी बोली-
प्रभु !
ऐसा क्या है राधा जी में,
जो आपकी हर साँस पर उनका ही नाम होता है ?

मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूँ...
फिर भी,
आप हमें नहीं पुकारते !!

श्री कृष्ण ने कहा -देवी !
आप कभी राधा से मिली हैं ?
और मंद मंद मुस्काने लगे...

अगले दिन रुक्मणी राधाजी से मिलने उनके महल में पहुंची ।

राधाजी के कक्ष के बाहर अत्यंत खूबसूरत स्त्री को देखा...
और,
उनके मुख पर तेज होने कारण उसने सोचा कि-
ये ही राधाजी है और उनके चरण छुने लगी !

तभी वो बोली -आप कौन हैं ?

तब रुक्मणी ने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया...

तब वो बोली-
मैं तो राधा जी की दासी हूँ।

राधाजी तो सात द्वार के बाद आपको मिलेंगी !!

रुक्मणी ने सातो द्वार पार किये...
और,
हर द्वार पर एक से एक सुन्दर और तेजवान दासी को देख सोच रही थी क़ि-
अगर उनकी दासियाँ इतनी रूपवान हैं...
तो,
राधारानी स्वयं कैसी होंगी ?

सोचते हुए राधाजी के कक्ष में पहुंची...

कक्ष में राधा जी को देखा-
अत्यंत रूपवान तेजस्वी जिसका मुख सूर्य से भी तेज चमक रहा था।
रुक्मणी सहसा ही उनके चरणों में गिर पड़ी...

पर,
ये क्या राधा जी के पुरे शरीर पर तो छाले पड़े हुए है !

रुक्मणी ने पूछा-
देवी आपके शरीर पे ये छाले कैसे ?

तब राधा जी ने कहा-
देवी !
कल आपने कृष्णजी को जो दूध दिया...
वो ज्यदा गरम था !

जिससे उनके ह्रदय पर छाले पड गए...
और,
उनके ह्रदय में तो सदैव मेरा ही वास होता है..!!

इसलिए कहा जाता है-

बसना हो तो...
'ह्रदय' में बसो किसी के..!

'दिमाग' में तो..
लोग खुद ही बसा लेते है..!!

             
 ❄❄❄❄❄❄❄
╔══════════════════╗
║ प्रेम से कहिये जय श्री राधे ║
╚════════
कुछ हँस के
     बोल दिया करो,
कुछ हँस के
      टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत
    परेशानियां है
तुमको भी
     मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले
     वक्त पे डाल दिया करो,
न जाने कल कोई
    हंसाने वाला मिले न मिले..
इसलिये आज ही
      हसरत निकाल लिया करो !!
हमेशा समझौता
      करना सीखिए..
क्योंकि थोड़ा सा
      झुक जाना
 किसी रिश्ते को
         हमेशा के लिए
तोड़ देने से
           बहुत बेहतर है ।।।
किसी के साथ
     हँसते-हँसते
 उतने ही हक से
      रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का
     पानी धीरे से
पोंछना आना चाहिए !
      रिश्तेदारी और
 दोस्ती में
    कैसा मान अपमान ?
बस अपनों के
     दिल मे रहना
आना चाहिए...!

          ☺💲💲☺
👌👇👇👇👇👇👇👇👇
बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में ।

उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है।

****************************
सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूर्ती के आगे ।

बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है ll
***************************
लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार,

पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।

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वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए,

घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है।


****************************
जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन,

आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है ।
***************************
जिसने नहीं दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी ,

आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है ll

****************************
दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने,

आज पिटते उसी शौहर के हाथों सरे बाजार देखा है ।

***************************
मारा गया वो पंडित बेमौत सड़क दुर्घटना में यारों ,

जिसे खुद को काल सर्प,तारे और हाथ की लकीरों का माहिर लिखते देखा है

**************************
जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों

आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।
***************************
बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर,

अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।
*************************
आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर,

अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।
************************
गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है

उन्होंने देख लिया कि,इंसान हमसे अच्छा नोंचता है।
************************
कुत्ते कोमा में चले गए,ये देखकर कि

क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान को देखा है ।

चार बातें हमेशा यादरखो

पहली बात:-
हर इंसान इतना बुरा नही होता जितना वो पेन कार्ड और आधार कार्ड मैं दीखता है।
और इतना अच्छा भी नही होता जितना वो फेस बुक और वाटस
एप पर दिखता है।

दूसरी बात:-
हर आदमी इतना बुरा नही होता जितना उसकी बीबी उसको समझती है और इतना अच्छा भी नहीं होता जितना उसकी माँ उसको समझती है।

तीसरी बात:-
हर आदमी अपनी लाइफ पार्टनर के बारे मैं सोचता है कि वो मिस यूनिवर्स दिखे और घर मैं काम शांता बाई की तरह करे।

चौथी बात:-
हर औरत अपने लाइफ पार्टनर के बारे मै सोचती है की वो अम्बानी तरह कमाए और व्यहवहार मनमोहन सिंह की तरह करे।

मंगल कामनाओ सहित समर्पित परन्तु कृपया मुस्कुरायें या हंसे नहीं।
किस्मत हो तो मोदी जैसी हो।
सवाल पूछने के लिए विपक्ष में नेता नहीं और घर पर बीबी नहीं।

No चिक चिक...
No छिक छिक।


शादी पर निबंध
!!शादी क्या है !!????
१. शादी एक खुली जेल है ।
२. शादी एक ऐसी साझेदारी है, जिसमें पूँजी पति लगाता है,
लाभ
पत्नी पाती है ।
३. शादी एक ऐसी कहानी है, जो झील के किनारे से शुरू होकर
ज्वालामुखी के पहाड़ पर समाप्त होती है ।
४. शादी एक ऐसी जोड़ी है,जिसमें प्रेम होता है, चूंकि प्रेम
अंधा होता है, इसलिये यह अंधों की जोड़ी है ।
५. शादी एक ऐसा आयोजन है, जिसे महीलायें पुरूषों को लूटने के
लिये आयोजित करती हैं ।
६. शादी एक ऐसी किताब है, जिसका पहला भाग पद्य में
तथा शेष गद्य में होते हैं ।
७. शादी एक ऐसा मिलन है, जो अच्छे मित्रों की तरह रहने के
इरादे से शूरु किया जाता है और दिन-ब-दिन ये इरादे बदलते जाते
हैं ।
८.शादी एक ऐसा प्रमाण है, जिसके बाद ही आदमी मानता है
कि कुँवारे ही भले थे ।
९.शादी जीवन का एक ऐसा मोड़ है, जिसमें लड़की की सब
चिंतायें
समाप्त हो जाती हैं, लड़के की शुरू हो जाती है ।
१०.शादी ही वह संस्कार है, जिसे करने के बाद आदमी को ज्ञान
होता है कि नर्क पृथ्वी पर ही है ।
११.शादी एक शब्द नहीं, एक वाक्य है !!
📍1. मांग भरने की सजा कुछ इस कदर पा रहा हूँ
की मांग पूरी करते-करते, अब मांग-मांग के खा रहा हूँ...!!!
*****************************
📍2. पापा: बेटी, बड़ी हो के क्या करोगी?
बेटी: शादी...
पापा: गलत बात है... अभी से किसी का बुरा नहीं सोचते...!
*****************************
📍3. पति ने पान खरीद के पत्नी को खाने के लिए दिया.
पत्नी: अरे... आप ने तो अपने लिए लिया ही नहीं..!
पति: मैं तो ऐसे ही खामोश रह सकता हूँ...!
*****************************
📍4. बीवी क्या होती है?
बीवी भगवान के प्रसाद जैसे होती है,
जिसमे चाहते हुए भी कोई नुक्स नहीं निकाल सकते;
श्रद्धा और मज़बूरी के साथ चुपचाप खाए जाओ...!
*****************************
📍5. पत्नी: मैंने सुना है की स्वर्ग में पुरुषों को अप्सराएँ
मिलती हैं.. औरतों को क्या मिलता है?
पति: कुछ नहीं; ऊपरवाला सिर्फ दुखी लोगों की ही सुनता है..!
*****************************
📍6. पत्नी: मैंने सुना है की स्वर्ग में पति-पत्नी को साथ में रहेने
नहीं देते...
पति: पगली, तभी तो उसे स्वर्ग कहते हैं.!
*****************************
📍7. मतदान करने के लिए उम्र 18 साल, और शादी के लिए 21
साल... ऐसा क्यूँ?
क्यूँ कि, सरकार जानती है, कि
बीवी संभालना, मुल्क सँभालने से ज्यादा मुश्किल है...!
*****************************
📍8. FRIEND is- Asian Paints = जो दुनिया बदल दे...
GIRLFRIEND is- Everest Masala = जो टेस्ट में बेस्ट...
WIFE is-- Mosquito Coil = जो कोने-कोने से ढूंढ के मारे !
*****************************
📍9. ज़िन्दगी के शुरुआत "S" से होती है:
S से सूरज, सुबह, शाम, समय,....
उसके बाद: S से सगाई, शादी, फिर सांस, ससुर, साला, साली,
और फिर सत्यानाश...!
*****************************
📍10. पति: डार्लिंग, तुम खूबसूरत होती जा रही हो...
पत्नी (खुश हो कर, रसोईघर में से): तुमने कैसे जाना?y
पति: तुम्हे देख कर रोटियां भी जलने लगी हैं...
*****************************
📍11. किसी को उसके फटे हुए जूते, मैले कपड़े, पुरानी घड़ी,
उतरा हुआ मुंह,.... इत्यादि चीजों से उसे गरीब ना मानो....
हो सकता है, की वो आदमी शादीशुदा हो.
*****************************

वह कहता था,
वह सुनती थी,
जारी था एक खेल
कहने-सुनने का।

खेल में थी दो पर्चियाँ।
एक में लिखा था ‘कहो’,
एक में लिखा था ‘सुनो’।
अब यह नियति थी
या महज़ संयोग?
उसके हाथ लगती रही
वही पर्ची
जिस पर लिखा था ‘सुनो’।

वह सुनती रही।
उसने सुने आदेश।
उसने सुने उपदेश।
बन्दिशें उसके लिए थीं।
उसके लिए थीं वर्जनाएँ।
वह जानती थी,
'कहना-सुनना'
नहीं हैं केवल क्रियाएं।

राजा ने कहा, 'ज़हर पियो'
वह मीरा हो गई।
ऋषि ने कहा, 'पत्थर बनो'
वह अहिल्या हो गई।
प्रभु ने कहा, 'निकल जाओ'
वह सीता हो गई।
चिता से निकली चीख,
किन्हीं कानों ने नहीं सुनी।
वह सती हो गई।

घुटती रही उसकी फरियाद,
अटके रहे शब्द,
सिले रहे होंठ,
रुन्धा रहा गला।
उसके हाथ कभी नहीं लगी
वह पर्ची,
जिस पर लिखा था, ‘ कहो ’


Wednesday, July 20, 2016

बेटी से माँ का सफ़र (बहुत खूबसूरत पंक्तिया , सभी महिलाओ को समर्पित)

बेटी से माँ का सफ़र
बेफिक्री से फिकर का सफ़र
रोने से चुप कराने का सफ़र
उत्सुकत्ता से संयम का सफ़र

पहले जो आँचल में छुप जाया करती थी ।
आज किसी को आँचल में छुपा लेती हैं ।

पहले जो ऊँगली पे गरम लगने से घर को उठाया करती थी ।
आज हाथ जल जाने पर भी खाना बनाया करती हैं ।

छोटी छोटी बातों पे रो जाया करती थी
बड़ी बड़ी बातों को मन में रखा करती हैं ।


पहले दोस्तों से लड़ लिया करती थी ।
आज उनसे बात करने को तरस जाती हैं ।

माँ कह कर पूरे घर में उछला करती थी ।
माँ सुन के धीरे से मुस्कुराया करती हैं ।

10 बजे उठने पर भी जल्दी उठ जाना होता था ।
आज 7 बजे उठने पर भी
लेट हो जाता हैं ।

खुद के शौक पूरे करते करते ही साल गुजर जाता था ।
आज खुद के लिए एक कपडा लेने में आलस आ जाता हैं ।

पूरे दिन फ्री होके भी बिजी बताया करते थे ।
अब पूरे दिन काम करके भी फ्री
कहलाया करते हैं ।

साल की एक एग्जाम के लिए पूरे साल पढ़ा करते थे।
अब हर दिन बिना तैयारी के एग्जाम दिया करते हैं ।

ना जाने कब किसी की बेटी
किसी की माँ बन गई ।
कब बेटी से माँ के सफ़र में तब्दील हो गई .....
😊😊😊


WHEN TO BE SILENT

1. Be silent In the heat of anger -

2. Be silent When you don't
     have all the facts

3. Be silent When you
     haven't verified the story -
   

4. Be silent If your words
     will offend a weaker
     person

5. Be silent When it is time
     to listen

6. Be silent When you are
     tempted to make light of
     holy things

7. Be silent When you are
     tempted to joke about
     sin

8. Be silent If you would be
     ashamed of your words
     later

9. Be silent If your words
     would convey the wrong
     impression

10. Be silent If the issue is
      none of your business

11. Be silent When you are
      tempted to tell an
      outright lie

12. Be silent If your words
      will damage someone
      else's reputation

13. Be silent If your words
      will damage a friendship
     

14. Be silent When you are
      feeling critical

15. Be silent If you can't say
       it without screaming it

16. Be silent If your words
      will be a poor reflection
      of the Lord or your
      friends and family

17. Be silent If you may  
       have to eat your words
       later

 18. Be silent If you have
       already said it more
       than one time

19. Be silent When you are
      tempted to flatter a
      wicked person

20. Be silent When you are
      supposed to be working
      instead


✒🔴 शरीर में रौंगटे खड़े कर देने वाली कविता,,,

    🔴🎷 🌺 माँ की इच्छा 🌺 🎷🔵

   महीने बीत जाते हैं ,
   साल गुजर जाता है ,
   वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर ,
   मैं तेरी राह देखती हूँ।

                   आँचल भीग जाता है ,
                   मन खाली खाली रहता है ,
                   तू कभी नहीं आता ,
                   तेरा मनि आर्डर आता है।

                               इस बार पैसे न भेज ,
                               तू खुद आ जा ,
                               बेटा मुझे अपने साथ ,
                               अपने 🏡 घर लेकर जा।

    तेरे पापा थे जब तक ,
    समय ठीक रहा कटते ,
    खुली आँखों से चले गए ,
    तुझे याद करते करते।

               अंत तक तुझको हर दिन ,
               बढ़िया बेटा कहते थे ,
               तेरे साहबपन का ,
               गुमान बहुत वो करते थे।

                            मेरे ह्रदय में अपनी फोटो ,
                            आकर तू देख जा ,
                            बेटा मुझे अपने साथ ,
                            अपने 🏡 घर लेकर जा।

   अकाल के समय ,
   जन्म तेरा हुआ था ,
   तेरे दूध के लिए ,
   हमने चाय पीना छोड़ा था।

               वर्षों तक एक कपडे को ,
               धो धो कर पहना हमने ,
               पापा ने चिथड़े पहने ,
               पर तुझे स्कूल भेजा हमने।

                         चाहे तो ये सारी बातें ,
                         आसानी से तू भूल जा ,
                         बेटा मुझे अपने साथ ,
                         अपने 🏡 घर लेकर जा।

🏡 घर के बर्तन मैं माँजूंगी ,
      झाडू पोछा मैं करूंगी ,
      खाना दोनों वक्त का ,
      सबके लिए बना दूँगी।

            नाती नातिन की देखभाल ,
            अच्छी तरह करूंगी मैं ,
            घबरा मत, उनकी दादी हूँ ,
            ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।

                            तेरे 🏡 घर की नौकरानी ,
                            ही समझ मुझे ले जा ,
                            बेटा मुझे अपने साथ ,
                            अपने 🏡 घर लेकर जा।

   आँखें मेरी थक गईं ,
   प्राण अधर में अटका है ,
   तेरे बिना जीवन जीना ,
   अब मुश्किल लगता है।

                 कैसे मैं तुझे भुला दूँ ,
                 तुझसे तो मैं माँ हुई ,
                 बता ऐ मेरे कुलभूषण ,
                 अनाथ मैं कैसे हुई ?

                           अब आ जा तू मेरी कब्र पर ,
                           एक बार तो माँ कह जा ,
                           हो सके तो जाते जाते ,
                           वृद्धाश्रम गिराता जा।

🌹🌹🌹💠🌹💠🌹🌹🌹

Tuesday, July 19, 2016

सुप्रभात।

🌷🌻🌺🙏🏽🙏🏽🌺🌻🌷
✨गुरुपूर्णिमा✨

हर साल आती गुरुपूर्णिमा,
शिष्यत्व का जागरण कराती गुरुपूर्णिमा।
गुरु स्मरण कराने आती गुरुपूर्णिमा,
शिष्यों को उनके वादे याद दिलाती गुरुपूर्णिमा।

शिष्य की निष्ठां का प्रमाण है गुरुपूर्णिमा,
शिष्य की श्रद्धा की सम्पूर्णता है गुरुपूर्णिमा।
सद्गुरु के वरदानों का उत्सव है गुरुपूर्णिमा,
सद्गुरु के बरसते आशीषो का महोत्सव है गुरुपूर्णिमा।

गुरु सान्निध्य की अनुभूति है गुरुपूर्णिमा,
गुरुसमीप्य का बोध है गुरुपूर्णिमा।
शिष्यत्व के जागरण का उत्सव है गुरुपूर्णिमा,
पूर्ण समर्पण का महोत्सव के गुरुपूर्णिमा।

आत्मस्वरूप का ज्ञान कराने आई गुरुपूर्णिमा,
देहाभिमान को दूर कराने आई गुरुपूर्णिमा।
श्रद्धा निष्ठा से गुरुमय बनाने आई गुरुपूर्णिमा,
गुरुभक्ति का सावन लाई गुरुपूर्णिमा।

भाव संवेदना जगाने आई गुरुपूर्णिमा,
शिष्य में देवत्व जगाने आई गुरुपूर्णिमा।
दिव्य अनुदान वरदान बरसाने आई गुरुपूर्णिमा,
गुरु के स्नेह की याद दिलाने आई गुरुपूर्णिमा।

      आप सभी को गुरु पूर्णिमा की असीम शुभकामनाएं...
🍁🙏🏽🙏🏽🍁
🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸

Sunday, July 17, 2016

*सफल जीवन* *के* *सूत्र*

✍1. *जीवन*

जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था। अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ।

✍2. *कठिनाइयों*

जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते|

✍3. *असंभव*

इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं| हम वो सब कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, जो आज तक हमने नहीं सोचा|

✍4. *हार ना मानना*

बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है|

✍5. *हार जीत*

सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है|

✍6. *आत्मविश्वास*

अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है

✍7. *महानता*

महानता कभी न गिरने में नहीं बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है|

✍8. *गलतियां*

अगर आप समय पर अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते है तो आप एक और गलती कर बैठते है| आप अपनी गलतियों से तभी सीख सकते है जब आप अपनी गलतियों को स्वीकार करते है|

✍9. *चिन्ता*

अगर आप उन बातों एंव परिस्थितियों की वजह से चिंतित हो जाते है, जो आपके नियंत्रण में नहीं तो इसका परिणाम समय की बर्बादी एवं भविष्य पछतावा है|

✍10. *शक्ति*

ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं| वो हम हैं जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है|

✍11. *मेहनत*

हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते है और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां हमारा भाग्य लिख देंगी|

✍12. *सपने*

सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते।

✍13. *समय*

आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास समय नहीं है क्योंकि आपको भी दिन में उतना ही समय (24 घंटे) मिलता है जितना समय महान एंव सफल लोगों को मिलता है|

✍14. *विश्वास*

विश्वास में वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में प्रकाश लाया जा सकता है| विश्वास पत्थर को भगवान बना सकता है और अविश्वास भगवान के बनाए इंसान को भी पत्थर दिल बना सकता है|

✍16. *सफलता*

दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं क्योंकि सफलता के रास्ते हमारे लिए तभी खुलते जब हम उसके बिल्कुल करीब पहुँच जाते है|

✍17. *सोच*

बारिश की दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही avoid कर देते है। समस्याए common है, लेकिन आपका नजरिया इनमे difference पैदा करता है।

✍18. *प्रसन्नता*

यह पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है..ये आप ही के कर्मों से आती है

*जियो* *ओर* *जीने* *दो*


Saturday, July 16, 2016

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर,

अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर,

अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

गिद्ध भी कहीं चले गए, लगता है उन्होंने देख लिया,

कि इंसान हमसे अच्छा नोंचता है!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर,

क्या मस्त तलवे चाटता है इंसान!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

कोई टोपी, तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है,

मिले अगर भाव अच्छा, जज भी कुर्सी बेच देता है!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी,

जिसकी खातिर बाप किडनी बेच देता है!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

ये कलयुग है, कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें,

कली, फल, फूल, पेड़, पौधे सब माली बेच देता है!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

धन से बेशक गरीब रहो, पर दिल से रहना धनवान,

अक्सर झोपड़ी पे लिखा होता है: "सुस्वागतम"

और महल वाले लिखते हैं:
"कुत्तों सॆ सावधान"

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃


बहुत ही खूबसूरत लाईनें..
किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!

डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!

अकल कितनी भी तेज ह़ो,
नसीब के बिना नही जीत सकती..

बीरबल अकलमंद होने के बावजूद,
कभी बादशाह नही बन सका...!!"

"ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो,
ना ही तुम अपने कंधे पर सर
 रखकर रो सकते हो !

एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है!
इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!

रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि
 कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर
 जीवन अमीर जरूर बना देते है "

आपके पास मारुति हो या
 बीएमडब्ल्यू - सड़क वही रहेगी |

आप टाइटन पहने या रोलेक्स - समय वही रहेगा |

आपके पास मोबाइल एप्पल का हो
 या सेमसंग - आपको कॉल करने वाले
 लोग नहीं बदलेंगे |

आप इकॉनामी क्लास में सफर करें या
 बिज़नस में - आपका समय तो उतना ही लगेगा |

भव्य जीवन की लालसा रखने या जीने में
 कोई बुराई नहीं हैं, लेकिन सावधान रहे क्योंकि आवश्यकताएँ पूरी हो सकती है, तृष्णा नहीं |

एक सत्य ये भी है कि धनवानो का
 आधा धन तो ये जताने में चला जाता है
 की वे भी धनवान हैं |

कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है....
पर रोटी की साईज़ लगभग सब घर में एक जैसी ही होती है।

: शानदार बात
 बदला लेने में क्या मजा है
 मजा तो तब है जब तुम सामने
 वाले को बदल डालो..||

इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,
और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले...

: 'कर्मो' से ही पहेचान होती है इंसानो की...
महेंगे 'कपडे' तो,'पुतले' भी पहनते है दुकानों में