Sunday, July 24, 2016

हवाओ को रोक ले किसी में दम नही
मोहब्बत दिखा दे बना आज तक वो सक्स नही
तुम्हे शायद ज्ञान नही मोहब्बत और प्यार को अँधा कहते है क्यों
जितना भी कर लो खत्म नही होती
वहुत ही रंग है इसमें तुम्हे पता नही
ग़म आंसू चाहत लगाव विरह की अगन इसकी जुदाई तन्हाई मिलन रुसवाई बेवफाई कभी ख़ुशी की चमक कभी अश्क़ की बारिस कभी मिल्न की आस बुझा सके समुन्दर हो या कितनी हो बरसात । जितना बताया ये कुछ भी लिखू इसकी कहानी तो कम पड़े भर जाये पृथ्वी पाताल और सारा आकाश
इसे महसूस कर सकते हो देख नही सकते ये राज बताने वाला किया आपको मिला नही
सबने सुना है इसके ग़म की दास्तान
मोहब्बत हूँ मैं दूर रहो मुझसे तड़पोगे
मानते ही लोग
कहते रहे रहे इश्क़ में मरने वाले
ओ मोहब्बत खत्म हुआ वजूद हमारा तेरी खातिर
पर तू अमर ही रहेगी
अमर रहेगी तू रहेगी हमेशा
क्युकि
मोहब्बत जिंदाबाद

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