1. दहशत गोली से नही दिमाग से होती है, और
हमारा दिमाग तो बचपन से हि खराब है....
2. गुस्ताखी तो हमेँ खेल मेँ भी पसन्द नही ....
निशाने पे जिसको भी रखते हैँ बेशक बता के रखते
हैँ...
3. उस शख्स
को क्या हराना,,,,जो कभी ज़ीता ना हो...
उस शख्स
को हराओ,,,,जिसे हारना पसंद ही ना हो..
4. निग़ाहों से भी चोट लगती हे ज़नाब....
ज़ब कोई देखकर भी अनदेखा कर देता है..
5. मरने का खोफ नही है हमे बस कोई है जो हमारे
बगैर अधूरे है !!
6. हम भी उसी रस्ते जाते है... जहा हमारा दुश्मन
हमारा इंतज़ार कर होता है... फर्क सिर्फ
इतना है
शुरुवात वो करते है और खत्म हम.
हमारा दिमाग तो बचपन से हि खराब है....
2. गुस्ताखी तो हमेँ खेल मेँ भी पसन्द नही ....
निशाने पे जिसको भी रखते हैँ बेशक बता के रखते
हैँ...
3. उस शख्स
को क्या हराना,,,,जो कभी ज़ीता ना हो...
उस शख्स
को हराओ,,,,जिसे हारना पसंद ही ना हो..
4. निग़ाहों से भी चोट लगती हे ज़नाब....
ज़ब कोई देखकर भी अनदेखा कर देता है..
5. मरने का खोफ नही है हमे बस कोई है जो हमारे
बगैर अधूरे है !!
6. हम भी उसी रस्ते जाते है... जहा हमारा दुश्मन
हमारा इंतज़ार कर होता है... फर्क सिर्फ
इतना है
शुरुवात वो करते है और खत्म हम.
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