: कुछ पंक्तियां:
मै सूरज के साथ रहकर भी भूला नही अदब,
लोग जुगनू का साथ पाकर... मगरूर हो गये.
खुद मे काबिलीयत हो तो...भरोसा कीजिये,
सहारे कितने भी अच्छे हों...साथ छोड़ जाते हैं.
सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.
आदमी ही आदमी का रास्ता काट रहा है,
बिल्लियां तो बेचारी बेरोजगार बैठी हैं.
मुद्दतों बाद किसी ने पूछा- कहां रहते हो,
मैने मुस्करा कर कहा- अपनी औकात मे.
Dil ke paimane mei jab shayari likhte hai unke naam ki….
dard ki arzu mei wo shayari gazal ban jati hai…..
hum aksar baithe yahi sochte hai,jisne itne wade kiye….
wo pal do pal mei badal jati hai…..?
मै सूरज के साथ रहकर भी भूला नही अदब,
लोग जुगनू का साथ पाकर... मगरूर हो गये.
खुद मे काबिलीयत हो तो...भरोसा कीजिये,
सहारे कितने भी अच्छे हों...साथ छोड़ जाते हैं.
सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.
आदमी ही आदमी का रास्ता काट रहा है,
बिल्लियां तो बेचारी बेरोजगार बैठी हैं.
मुद्दतों बाद किसी ने पूछा- कहां रहते हो,
मैने मुस्करा कर कहा- अपनी औकात मे.
Dil ke paimane mei jab shayari likhte hai unke naam ki….
dard ki arzu mei wo shayari gazal ban jati hai…..
hum aksar baithe yahi sochte hai,jisne itne wade kiye….
wo pal do pal mei badal jati hai…..?
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