Friday, February 20, 2015

चोंच डुबा कर दो चार बूँदें हाथ में लेकर अपने ऊपर छिड़कने को "चंचु" स्नान कहते हैं..
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इससे भी श्रेष्ठ स्नान होता है "नल नमस्कार स्नान" जो शीतॠतु में नल को "नमस्कार" करके किया जाता है।
कई वीर साहस करके "नल" को "स्पर्श" कर लेते हैं। परंतु ज्ञानी जन दुस्साहस की वर्जना करते हैं।
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इन सबसे सर्वश्रेष्ठ स्नान होता है।
"जल स्मरण स्नान" इस स्नान में परम ज्ञानी जन अपने बिस्तर में बैठे बैठे "जल देवता" का स्मरण करके करते है।

उपरोक्त स्नानों से निम्न लाभ होते हैं। (1)इन सभी स्नानों से जल बर्बाद नहीं होता है।
(2) हम इन सभी स्नानों के माध्यम से बहुत बड़ी मात्रा में "अमूल्य जल" की बचत कर मानव मात्र की सेवा कर सकते हैं।
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शीतॠतु में इस "चमत्कारी जल स्मरण स्नान" का यथा-संभव पुण्य-लाभ में रोज लेता हूँ आप सब भी लें...
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आप भी करके देखिए बहुत पुण्य का काम है।
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