! ! आज के विचार ! !
सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय" समय-समय पर लेते रहना चाहिए .....
पानी के बिना नदी बेकार है,
अतिथि के बिना आँगन बेकार है......
प्रेम न हो तो सगे-सम्बन्धी बेकार है, पैसा न हो तो पाकेट बेकार है, और जीवन में गुरु न हो तो जीवन बेकार है....
इसलिए जीवन में "गुरु"जरुरी है.. "गुरुर" नहीं....
पानी मर्यादा तोड़े तो विनाश और वाणी मर्यादा तोड़े
तो सर्वनाश ! !
👏ऐ कान्हा.......
कोई शायर तो
कोई फकीर बन जाये,
आपको जो देखे वो
खुद तस्वीर बन जाये
ना फूलों की ज़रूरत
ना कलियों की,
कान्हा जहाँ आप पैर रख दो,
वहीं वृन्दावन बन जाये !
🍁राधे राधे तो बोलना ही पड़ेगा🍁
सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय" समय-समय पर लेते रहना चाहिए .....
पानी के बिना नदी बेकार है,
अतिथि के बिना आँगन बेकार है......
प्रेम न हो तो सगे-सम्बन्धी बेकार है, पैसा न हो तो पाकेट बेकार है, और जीवन में गुरु न हो तो जीवन बेकार है....
इसलिए जीवन में "गुरु"जरुरी है.. "गुरुर" नहीं....
पानी मर्यादा तोड़े तो विनाश और वाणी मर्यादा तोड़े
तो सर्वनाश ! !
👏ऐ कान्हा.......
कोई शायर तो
कोई फकीर बन जाये,
आपको जो देखे वो
खुद तस्वीर बन जाये
ना फूलों की ज़रूरत
ना कलियों की,
कान्हा जहाँ आप पैर रख दो,
वहीं वृन्दावन बन जाये !
🍁राधे राधे तो बोलना ही पड़ेगा🍁
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