Thursday, April 23, 2015

 चांद से फूल से या मेरी...
.... ज़ुबाँ से सुनिये
हर जगह आपका क़िस्सा है ....
........जहाँ से सुनिये ।

सबको आता नहीं दुनिया को ...
..... सजाकर जीना
ज़िंदगी क्या है मुहब्बत की...
..... ज़ुबाँ से सुनिये ।




कौन पढ़ सकता है ....
......पानी पे लिखी तहरीरें
किसने क्या लिखा है ये ...
.......आबे रवाँ से सुनिये ।

चाँद में कैसे हुई क़ैद....
....... किसी घर की ख़ुशी
ये कहानी किसी मस्जिद की...
...........अज़ाँ से सुनिये ।




क्या ज़रूरी है कि हर पर्दा....
......... उठाया जाए
मेरे हालात भी अपने ही.....
....... मकाँ से सुनिये ।

मेरी आवाज़ ही पर्दा है....
........ मेरे चेहरे का
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ मुझको....
..... वहाँ से सुनिये ।


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