हर तरफ़ हर जगह ....
बेशुमार आदमी
फिर भी तनहाइयों का....
शिकार आदमी ।
सुबह से शाम तक......
बोझ ढोता हुआ
अपनी ही लाश का.......
खुद मज़ार आदमी ।
.....हर तरफ़......
भागते-दौड़ते रास्ते....!
.....हर तरफ़.....
आदमी का....शिकार आदमी ।
रोज़ जीता हुआ.......
.......रोज़ मरता हुआ
हर नए दिन......
...... नया इन्तिज़ार आदमी ।
ज़िंदगी का मुकद्दर .......
......सफ़र-दर-सफ़र .....
आख़िरी साँस तक....
बेक़रार आदमी.....!!
जो खो जाता हैं मिलकर ज़िंदगी में....
..... ग़ज़ल है नाम
...'......उसका शायरी में ।
निकल आते हैं आँसू........
........ हँसते--हँसते
ये किस ग़म की कसक है.....
....... हर ख़ुशी में ।
कहीं चेहरा, कहीं आँखें .....
......कहीं लब.....
हमेशा एक मिलता है,
......कई में ।
गुजर जाती हैं.......
....यूँ ही उम्र सारी
......किसी को ढूँढ़ते हैं.....
...........हम किसी में ।
बेशुमार आदमी
फिर भी तनहाइयों का....
शिकार आदमी ।
सुबह से शाम तक......
बोझ ढोता हुआ
अपनी ही लाश का.......
खुद मज़ार आदमी ।
.....हर तरफ़......
भागते-दौड़ते रास्ते....!
.....हर तरफ़.....
आदमी का....शिकार आदमी ।
रोज़ जीता हुआ.......
.......रोज़ मरता हुआ
हर नए दिन......
...... नया इन्तिज़ार आदमी ।
ज़िंदगी का मुकद्दर .......
......सफ़र-दर-सफ़र .....
आख़िरी साँस तक....
बेक़रार आदमी.....!!
जो खो जाता हैं मिलकर ज़िंदगी में....
..... ग़ज़ल है नाम
...'......उसका शायरी में ।
निकल आते हैं आँसू........
........ हँसते--हँसते
ये किस ग़म की कसक है.....
....... हर ख़ुशी में ।
कहीं चेहरा, कहीं आँखें .....
......कहीं लब.....
हमेशा एक मिलता है,
......कई में ।
गुजर जाती हैं.......
....यूँ ही उम्र सारी
......किसी को ढूँढ़ते हैं.....
...........हम किसी में ।
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