नींद और मौत में क्या फर्क है...?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है....
"नींद आधी मौत है"
और
"मौत मुकम्मल नींद है"
जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है....
औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।
सुबहे होती है , शाम होती है
उम्र यू ही तमाम होती है ।
कोई रो कर दिल बहलाता है
और
कोई हँस कर दर्द छुपाता है.
क्या करामात है कुदरत की,
ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है
और मुर्दा तैर के दिखाता है...
बस के कंडक्टर सी हो गयी है
जिंदगी ।
सफ़र भी रोज़ का है और
जाना भी कही नहीं।.....
सफलता के सात भेद, मुझे अपने कमरे के अंदर
ही उत्तर मिल गये !
छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो !
पंखे ने कहा : ठन्डे रहो !
घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है !
शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक
लो !
खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो !
कैलेंडर ने कहा : Up-to-date रहो !
दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के
लिए पूरा जोर लगाओ !
लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं------
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं
जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं
खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं
और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..
एक रूपया एक लाख नहीं होता ,
मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता
हम आपके लाखों दोस्तों में बस वही एक रूपया हैं …
संभाल के रखनT , बाकी सब मोह माया ह
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है....
"नींद आधी मौत है"
और
"मौत मुकम्मल नींद है"
जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है....
औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।
सुबहे होती है , शाम होती है
उम्र यू ही तमाम होती है ।
कोई रो कर दिल बहलाता है
और
कोई हँस कर दर्द छुपाता है.
क्या करामात है कुदरत की,
ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है
और मुर्दा तैर के दिखाता है...
बस के कंडक्टर सी हो गयी है
जिंदगी ।
सफ़र भी रोज़ का है और
जाना भी कही नहीं।.....
सफलता के सात भेद, मुझे अपने कमरे के अंदर
ही उत्तर मिल गये !
छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो !
पंखे ने कहा : ठन्डे रहो !
घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है !
शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक
लो !
खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो !
कैलेंडर ने कहा : Up-to-date रहो !
दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के
लिए पूरा जोर लगाओ !
लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं------
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं
जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं
खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं
और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..
एक रूपया एक लाख नहीं होता ,
मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता
हम आपके लाखों दोस्तों में बस वही एक रूपया हैं …
संभाल के रखनT , बाकी सब मोह माया ह
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