Monday, April 20, 2015

आरएसएस और भूमि अधिग्रहण बिल के बीच आखिर क्या सम्बन्ध है?

समझिये।

कांग्रेस ने देश के मज़दूर किसानो की लड़ाई महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़ी थी तब महात्मा गांधी ने देश से वादा किया था की हम देश के बंधुआ मज़दूर और किसान को उसका हक़ दिलवायेंगे और जमींदारी समाप्त करेंगे।

मज़बूत कांग्रेस के इरादे देख कर जमींदारो ने आरएसएस को चन्दा दिया और कहा की कांग्रेस का विरोध करो इस बात पर आरएसएस के स्वमसेवको ने सड़क पर जमींदारी उन्मुलन का विरोध किया और संविधान सभा में जमींदारो ने यहाँ तक कहा की वोट देने का अधिकार केवल भू स्वामी को ही होगा मतलब 90% भारत को कोई अधिकार नहीं।

पर महात्मा गांधी,नेहरू,पटेल और आंबेडकर तस से मस न हुए न सिर्फ जमींदारी उन्मूलन का कानून बन जमीन बंधुआ मज़दूर को दिलवाई बल्कि वोट का अधिकार भी सबको दिया।

करीब करीब सब ज़मींदार विदेश जा बसे और आरएसएस भारत में 67 वर्षो तक उनके हितो के लिए लड़ता रहा।

अब 2014 में जबसे आरएसएस के सरकार बनी है तो वही जमींदार और पूंजीपति उस दौरान छिनी जमीन को वापिस लेना चाहते है इसीलिए वो उद्योग की आड़ में भूमि अधिग्रहित करना चाह रहे है।

बल्कि सरकार के लैंड बैंक में अभी भी 65% जमीन पड़ी हुई है।

अगर आप भारतीय है और किसान प्रिय है तो इस सत्य को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।

जय हिन्द।

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