हुकुमत वो ही करता है जिसका दिलो पर राज हो...!!
वरना यूँ तो गली के मुर्गो के सर पे भी ताज होता है...!!
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती,
तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती .
जरूरत और चाहत में बहुत फ़र्क है...
कमबख्त़ इसमे तालमेल बिठाते बिठाते ज़िन्दगी गुज़र जाती है !!!!
वरना यूँ तो गली के मुर्गो के सर पे भी ताज होता है...!!
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती,
तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती .
जरूरत और चाहत में बहुत फ़र्क है...
कमबख्त़ इसमे तालमेल बिठाते बिठाते ज़िन्दगी गुज़र जाती है !!!!
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