Saturday, April 4, 2015

जिन्‍दगी उसकी है यारो, जिसके दिल में प्‍यार है
‍रूप उसका है कि जिसके, पास में श्रृंगार है
फूल में खुशबू ना हो तो, बोलिए किस काम का
दिल अगर बेकार है तो, शायरी बेकार है

हादसे इंसान के संग, मसखरी करने लगे
लफ़्ज़ क़ागज़ पर उतर, जादूगरी करने लगे
क़ामयाबी जिसने पाई, उनके घर तो बस गये
जिनके दिल टूटे वो आशिक़, शायरी करने लगे

हर खुशी आएगी पहले, ग़म उठाना सीख लो
रौशनी पानी है तो फिर, घर जलाना सीख लो
लोग मुझसे पूछते हैं, शायरी कैसे करूं
मैं ये कहता हूं किसी से, दिल लगाना सीख लो

मोहब्‍बत के अंजाम से डर रहे हैं
निगाहों में अपनी लहू भर रहे हैं
मेरी प्रेमिका ले उडा और कोई
इक हम हैं कि बस शायरी कर रहे हैं

वो लिख देते रोज और हम कभी कभी ही लिख पाते हैं
वो कहते हर बात, हमें क्या कहना सोच नहीं पाते हैं

एक तरफ प्यार हमे करते हो, एक तरफ रूलाते क्यूँ हो?
मेरे दर्द-ए-दिल के अफसाने पर मुस्कुराते क्यूँ हो?


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