कहते है -
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है
और कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते.............
इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों
'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे,
'शब्द' के हाथ न पांव;
एक 'शब्द' 'औषधि" करे,
और
एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!
"जो 'किस्मत' में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!
' अल्लाह ' को भी पसंद नहीं
'सख्ती' 'बयान' में,
इसी लिए तो
'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!
शब्दों के दांत नहीं होते है
लेकिन शब्द जब काटते है
तो दर्द बहुत होता है
और कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की
जीवन समाप्त हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते.............
इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों
'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे,
'शब्द' के हाथ न पांव;
एक 'शब्द' 'औषधि" करे,
और
एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!
"जो 'किस्मत' में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!
' अल्लाह ' को भी पसंद नहीं
'सख्ती' 'बयान' में,
इसी लिए तो
'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!
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