Friday, May 22, 2015

माँ तू क्या है?
किस मिटटी की बनी है तू?
क्यूँ इतना भार सह लेती है?
क्यूँ हँस कर
हर गम सह लेती है?
हमे सुलाने की खातिर तू,
क्यूँ जगती है रात-रात भर?
क्यूँ खुद भूखी रह कर भी
हम बच्चों का भरती पेट?
क्यूँ अपने अरमानों का दम घोंटकर
बच्चों की ख्वाहिश करती पूरी?
क्यूँ सहती है तू इतना कुछ?
क्या क्रोध नहीं आता है तुझको?
लाख ग़मों से घिरी हो फिर भी
बच्चों का हँसना भाता है तुझको..
किस मिटटी से बनी है माँ तू?
इतना बड़ा दिया किसने दिल?
क्यूँ राम भी चाहें तेरा पालना
क्यूँ कान्हा तेरी कोख में आये?
क्या है तेरे इस आँचल में?
जो हर भय को दूर भगाए?
तेरी ममता की जग कायल
आंसू तेरे बने गंगाजल
तू अमृत के खान के जैसी
तू धड़कन या जान के जैसी
तुने दिया मुझे इक नाम
तेरी ममता को सलाम
तेरी ममता को सलाम

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