Saturday, May 30, 2015

गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है।

गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा।

एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू जी ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया ।

गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली।


'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो । बस दुख सुख में बदल जायेगा.।

          "सुख दुख आख़िर दोनों
         मन के ही तो समीकरण हैं।"

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