Thursday, May 14, 2015

: खो गया बचपन मेरा गुमनाम जवानी की राहो मे ।
याद आते है वो लम्हे जब साथ चलतेे थे राहो मे।
बूढ़े होते जा रहे है पुरानी यारी की मस्ती मे।
अब न आएगा बचपन मेरा इस सदी के पन्नों मे।
बन कर रह जायेगी हस्ती मेरी दो चार दोस्तों की यारी मे 😊😊😔😎




जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा

जितनी भारी गठरी होगी
उतना तू हैरान रहेगा

प्रभु से मिलना नामुमक़िन है
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा

हाथ मिलें और दिल न मिलें
ऐसे में नुक़सान रहेगा।


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