Monday, September 14, 2015

 ज़रूर कोई तो लिखता होगा कागज़ और पत्थर का भी नसीब;
वरना यह मुमकिन नहीं कि कोई पत्थर ठोकर खाए और कोई पत्थर भगवान बन जाये,
और कोई कागज़ रद्दी और कोई कागज़ गीता और कुरान बन जाये।




 बिना माँगें इतना दिया दामन में मेरे समाया नही;
जितना दिया प्रभु ने मुझको उतनी तो मेरी औकात नही;
यह तो करम है उनका वरना मुझ में तो ऐसी बात नही।




 मेरी औकात से बढ़ कर मुझे कुछ ना देना मेरे मालिक,
क्योंकि रौशनी भी अगर ज़रूरत से ज्यादा हो तो इंसान को अँधा बना देती है।


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