Saturday, September 26, 2015

बैंगन


बैंगन :- बैंगन के रंग का प्रभाव भी उसके गुणों पर पड़ता है। विटामिन 'सी' की उपस्थिति बैंगन के छिलके के रंग पर निर्भर करती है।

गहरे रंग के छिलके वाले बैंगन में अधिक विटामिन 'सी' रहता है जब कि हल्के रंग के छिलके वाले बैंगन में विटामिन सी की मात्रा कम रहती है।

 वसा प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स ये तीनों ही पोषक तत्व बैंगन में कम पाए जाते हैं। १०० ग्राम बैंगन में नीचे लिखे पोषक तत्व पाए जाते हैं

प्रोटीन - १.४ ग्राम
 वसा- ०.३ ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स ४.० ग्राम कैल्शियम - १८ ग्राम फस्फोरस - ४७ (मि. ग्राम) लौह तत्व - ०.३८ (मि.ग्राम) विटामिन सी - १२ (मि.ग्राम) पोटेशियम - २० (मि.ग्राम) -मैग्नीशियम - १६ (मि.ग्राम)।

 कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है- बैंगन के सेवन से रक्त में बैंगन के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर गिरता है। इस तरह के प्रभाव का प्रमुख कारण है।

 बैंगन में पोटेशियम व मैंगनीशियम की अधिकता। बैंगन की पत्तियों के रस का सेवन करने से भी रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम किया जा सकता है।

इससे रक्त संचार सही रहता है। रूखी त्वचा के लिए बैंगन- बैंगन स्किन को मॉइश्चर प्रदान करता है।

 इसीलिए अगर आपकी स्किन ड्राय या बाल ड्राय हो तो बैंगन जरूर खाएं। उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिये यही कारण है कि बैंगन उपयोगी माना जाता है।

इसी कारण यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और बैंगन का सेवन करने वालों को दिल की बीमारियों से बचाता है।

दांत के दर्द में- बैंगन का रस दांत के दर्द में लाभदायक प्रभाव दिखलाता है। बैंगन की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से फोड़े जल्दी पक जाते हैं।

अस्थमा के उपचार के लिये बैंगन की जड़ें प्रयुक्त की जाती हैं।

बैंगन में फाइबर अधिक मात्रा में पाए जाते हैं इसीलिए इसे सेवन करने वालों को कब्ज नहीं होती है।

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx


 गायत्री मंत्र कब और कितनी बार जरूरी है ?


सुबह उठते वक्त ८ बार अष्ट कर्मों को जीतने के लिए !

भोजन के समय १ बार अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए !                    

बाहर जाते समय ३ बार समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए !

 मन्दिर में १२ बार प्रभु के गुणों को याद करने के लिए !      

छींक आए तब गायत्री मंत्र उच्चारण १ बार अमंगल दूर करने के लिए !
                                       
सोते समय ७ बार सात प्रकार के भय दूर करने के लिए !                              

कृपया सभी बन्धुओं को प्रेषित करें !!!

ॐ ओउम् तीन अक्षरों से बना है। अ उ म् । अ" का अर्थ है उत्पन्न होना !

 उ" का तात्पर्य है उठना उड़ना अर्थात् विकास !

म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् ब्रह्मलीन हो जाना।


ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।


ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।


जानीए :-


ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक
और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...


ॐ और थायराॅयडः-

 ॐ का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।


ॐ और घबराहटः-

 अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।


ॐ और तनाव :-

 यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।


ॐ और खून का प्रवाह :-

 यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।


ॐ और पाचन :-

 ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।


ॐ लाए स्फूर्ति :-

 इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।


ॐ और थकान :-

 थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।


ॐ और नींद :-

 नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।


ॐ और फेफड़े :-

 कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।


ॐ और रीढ़ की हड्डी :-

 ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।


ॐ दूर करे तनाव :-

 ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।


आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे। साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आप को फिक्र है

पहला सुख निरोगी काया !


No comments:

Post a Comment