जिसके पेट खाली है
वो झंडा बेच रहे हैं,
और जिसके पेट भरे है
वो अपना देश बेच रहे हैं।
चलो फिर से खुद को जगाते हैं , अनुशासन का डंडा फिर से घुमाते हैं , सुनहरा रंग है गणतंत्र का शहीदों के लहू से , ऐसे शहीदों को हम सब सिर झुकाते हैं .
कुछ नशा तिरंगे की आन का है , कुछ नशा मातृभूमि की शान का है , हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा , नशा ये हिन्दुस्तां के सम्मान का है .
वतन हमारा मिसाल है मोहब्बत की , तोड़ता है दीवार नफरत की , मेरी खुश नसीबी है मिली जिंदगी इस चमन में , भुला ना सके कोई इसकी खुशबू सातों जन्मों में ..
चढ गये जो हंसकर सूली, खाई जिन्होने सीने पर गोली, हम उनको प्रणाम करते हैं. जो मिट गये देश पर, हम उनको सलाम करते हैं.
दे वीरो ने कुर्बानिया,हमें थी आजादी दिलवाई !
मत भूलो उन शहीदों को ,जिन्होंने वतन के लिए गोली खाई !!
वीर भगत सिंह चन्दर्शेखर ने ,गरम दल बनाया था,
अंग्रेजो को चुन-चुन मारा,ना कोई ढूंढा पाया था,
मेरा रंग दे बसंती चोला,क्या जोशीला मन बनाया था,
वो था माँ का लाडला ,जो उसी शेरनी ने जाया था,
अब तो बस कुछ ही मोको पर,उनकी याद आई !!
दे वीरो ने .........................................................
बड़े ही नरम थे वो नरम दल बनाने वाले,
शायद नहीं समझे थे वो अंग्रेजो की चाले,
नहीं करते थे वो रहम ,क्योंकि दिल थे उनके काले,
थे बड़े ही हरामी वो गोरी चमड़ी वाले,
कर याद उस मंजर की,अब तो आँखे है भर आई !!
दे वीरो ने ..........................................................
गाँधी थे धुन के पक्के ,थे अहिंसा के पुजारी,
नमक और सत्याग्रह के ,आन्दोलन रहते थे जारी,
उनकी सादगी के ऊपर ,फ़िदा थी दुनिया सारी,
छोड़ तोप और तलवार,उनकी तो लाठी ही पड़ी थी भारी,
अब तो बस अक्तूबर में ही उनकी याद आई !!
दे वीरो ने ..........................................................
अंग्रेजो की इनके आगे ,एक नहीं चलती थी,
हो घोड़े पर सवार ,जब वो निकलती थी,
नहीं बक्शा उन गोरो को,जिन्होंने की गलती थी,
जब निकली तलवार मयान से ,झाँसी की धरती भी हिलती थी,
नहीं थी वो कोई और,वो तो थी लक्ष्मीबाई !!
दे वीरो ने ................................................
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