Sunday, April 3, 2016

किसी नजर को तेरा इंतज़ार आज भी है
कहा हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी है

वो वादियाँ, वो फज़ायें के हम मिले थे जहां
मेरी वफ़ा का वही पर मज़ार आज भी है

न जाने देख के क्यों उनको ये हुआ एहसास
के मेरे दिल पे उन्हें इख्तियार आज भी है

वो प्यार जिस के लिए हमने छोड़ दी दुनियाँ
वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी है

यकीन नहीं है मगर आज भी ये लगता है
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी है

न पूछ कितने मोहब्बत के ज़ख़्म खाये हैं
के जिनको सोच के दिल सोगवार आज भी है

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