Tuesday, April 13, 2021

 *एक सन्यासी घूमते-फिरते एक दुकान पर आये | दुकान में अनेक छोटे-बड़े डिब्बे थे |*
*सन्यासी ने  एक डिब्बे की ओर इशारा करते हुए* *दुकानदार" से पूछा, "इसमें क्या है?"*
*दुकानदार ने कहा, "इसमें नमक है।"*
*सन्यासी ने फिर पूछा, "इसके* *पास वाले में क्या है ?"*
*दुकानदार ने कहा, "इसमें हल्दी है।"*
*इसी प्रकार सन्यासी पूछ्ते गए और दुकानदार बतलाता रहा।*
*अंत मे पीछे रखे डिब्बे का नंबर आया, सन्यासी ने पूछा,* *"उस अंतिम डिब्बे में क्या है?"*
*दुकानदार बोला, "उसमें श्रीकृष्ण हैं।"*
*सन्यासी ने हैरान होते हुये पूछा, "श्रीकृष्ण !! भला यह* *"श्रीकृष्ण" किस वस्तु का नाम है भाई? मैंने तो इस नाम के* *किसी सामान के बारे में कभी नहीं सुना !"*
*दुकानदार सन्यासी के भोलेपन पर हंस कर बोला,* *"महात्मन ! और डिब्बों मे तो* *भिन्न-भिन्न वस्तुएं हैं | पर यह* *डिब्बा खाली है| हम खाली को खाली नहीं कहकर* *श्रीकृष्ण कहते हैं !"*
 
*संन्यासी की आंखें खुली की* *खुली रह गई ! जिस बात के* *लिये मैं दर-दर भटक रहा था, वो बात मुझे आज एक व्यापारी से समझ आ रही है।* *वो सन्यासी उस छोटे से किराने के दुकानदार के चरणों* *में गिर पड़ा, ओह, तो खाली में श्रीकृष्ण रहता है !*
 *सत्य है ! भरे हुए में श्रीकृष्ण को स्थान कहाँ ?*
*काम, क्रोध, लोभ, मोह, लालच, अभिमान, ईर्ष्या, द्वेष और भली-बुरी, सुख-दुख की बातों से जब दिल-दिमाग भरा रहेगा तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा ?*
हरे कृष्ण😊🙏

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