जरूरी नही की हर समय
लबो पर खुदा का नाम आये
वो लम्हा भी इबादत का
होता है...
जब इनसान किसी के
काम आये...!
मोहब्बत हम तुम से बोहुत करते है,
हम तुम पर दिल और जान से मरते है,
मोहब्बत में यार मुझे कभी धोखा न देना,
क्यों की चाँद में भी हम तेरा दीदार करते है
ज़मीन से उठाकर दिल में बैठा लिया;
नज़रों में समां कर, पलकों में सजा दिया;
इतना प्यार दिया आपने हमकों कि;
मेरे बिखरे शब्दों को कविता बना दिया।
: छू गया जब कभी ख्याल तेरा
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में
और घर देर तक महकता रहा
इश्क़ के ख़याल बहुत हैं..
इश्क़ के चर्चे बहुत हैं..
सोचते हैं हम भी कर ले इश्क़..
पर सुनते हैं इश्क़ में खर्चे बहुत हैं..
मैं दुनिया से लड़ सकता हुँ पर अपनो के सामने लड़
नहीं सकता,
क्युँकि
अपनो के साथ मुझे 'जीतना'
नहीं बल्कि 'जीना' है!
ज़िंदगी में मुश्किलें तमाम हैं;
फिर भी लबों पे एक मुस्कान है;
क्योंकि जब जीना हर हाल में है;
तो मुस्कुरा कर जीने में क्या नुक्सान है।
तेरी मोहब्बत को तो पलकों पर सजायेंगे;
मर कर भी हर रस्म हम निभायेंगे;
देने को तो कुछ भी नहीं है मेरे पास;
मगर तेरी ख़ुशी मांगने हम खुदा तक भी जायेंगे।
क्या अजीब सबूत माँगा
उसने मेरी मोहब्बत का,
मुझे भूल जाओ तो मानू की
तुम्हे मुझसे मोहब्बत है…
: किसी फ़क़ीर ने सच ही कहा है -
अपनी तक़दीर की आजमाइश ना कर,
अपने गमो की नुमाइश ना कर,
जो तेरा है तेरे पास खुद आएगा,
रोज रोज उसे पाने की ख्वाहिश ना कर…
लबो पर खुदा का नाम आये
वो लम्हा भी इबादत का
होता है...
जब इनसान किसी के
काम आये...!
मोहब्बत हम तुम से बोहुत करते है,
हम तुम पर दिल और जान से मरते है,
मोहब्बत में यार मुझे कभी धोखा न देना,
क्यों की चाँद में भी हम तेरा दीदार करते है
ज़मीन से उठाकर दिल में बैठा लिया;
नज़रों में समां कर, पलकों में सजा दिया;
इतना प्यार दिया आपने हमकों कि;
मेरे बिखरे शब्दों को कविता बना दिया।
: छू गया जब कभी ख्याल तेरा
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में
और घर देर तक महकता रहा
इश्क़ के ख़याल बहुत हैं..
इश्क़ के चर्चे बहुत हैं..
सोचते हैं हम भी कर ले इश्क़..
पर सुनते हैं इश्क़ में खर्चे बहुत हैं..
मैं दुनिया से लड़ सकता हुँ पर अपनो के सामने लड़
नहीं सकता,
क्युँकि
अपनो के साथ मुझे 'जीतना'
नहीं बल्कि 'जीना' है!
ज़िंदगी में मुश्किलें तमाम हैं;
फिर भी लबों पे एक मुस्कान है;
क्योंकि जब जीना हर हाल में है;
तो मुस्कुरा कर जीने में क्या नुक्सान है।
तेरी मोहब्बत को तो पलकों पर सजायेंगे;
मर कर भी हर रस्म हम निभायेंगे;
देने को तो कुछ भी नहीं है मेरे पास;
मगर तेरी ख़ुशी मांगने हम खुदा तक भी जायेंगे।
क्या अजीब सबूत माँगा
उसने मेरी मोहब्बत का,
मुझे भूल जाओ तो मानू की
तुम्हे मुझसे मोहब्बत है…
: किसी फ़क़ीर ने सच ही कहा है -
अपनी तक़दीर की आजमाइश ना कर,
अपने गमो की नुमाइश ना कर,
जो तेरा है तेरे पास खुद आएगा,
रोज रोज उसे पाने की ख्वाहिश ना कर…
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