Sunday, August 30, 2015

: दुखोें की दोस्ती का साथ तो हरदम रहेगा
ख़ुशी लुट जाएगी, तब भी अकेला ग़म रहेगा ।

हवा कैसी यहां , पैगाम भी कैसे बहारों के
यहां हर रोज पतझड़ है , यही मौसम रहेगा ।




‬: वहां अपनों से बिछड़ा तो यहां अपनों को पाया है
मेरा दिल इस तरह दो राहों का संगम रहेगा ।

कभी देखा मोहब्बत से, कभी नफ़रत उभर आयी
तुम्हारा प्यार तो जितना मिलेगा, कम रहेगा ।



‬: तेरे आने की ख़ुशियां भी तेरे जाने में शामिल है
मिलेगा , तो होगा रुखसत, उसी का ग़म रहेगा ।

कफक्कल ज़िन्दगी बर्बादियों का आना-जाना है
यही पहचान है मेरी, यही परचम रहेगा ।


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