Sunday, August 23, 2015

।।ओ३म्।।
"नमस्ते"

नमस्ते शब्द नमः और् ते की सन्धि से बना है।'नमस्ते' दूसरों के प्रति सप्रेम हार्दिक आदर दर्शाता है।

1-श्रद्धा से दोनो हाथ जोड़,जब किया जाता "नमस्ते" उच्चारण।
अत्यन्त शोभनीय लगता यह प्राचीनतम संस्कृति द्योतक अभिनन्दन।।

2-दोनों हाथ जोड़कर जब हृदय के समीप हैं लाते और श्रद्धा से थोड़ा शीश झुका वाणी उच्चारे "नमस्ते",ऐसे नम्र अभिवादन से होता स्वाभाविक ही प्रेम सत्कार प्रवाह।

और "नमस्ते" अभिवादन द्वारा परस्पर होती प्रसन्नता अथाह।।

3-हृदय समीप दोनों जुड़े हाथ माने जाते हैं आत्म शक्ति के प्रतीक,भुजाएं दोनों शारीरिक बल द्योतक भरती हैं रक्षा भाव असीम,मानसिक शक्ति द्योतक मस्तिष्क पूर्णआदर को यहाँ दर्शाएं।
इन सभी दैवी शक्तियों के संगम से ही अभिवादन "नमस्ते" कहाए।।

4-गुड मार्निंग,ईवनिंग अथवा नाइट तो केवल समय बोध कराते।
हस्त-गले मिलन अथवा चुम्बन छूत रोग का भय दर्शाते।।

5-दूर से हाई-बाई तो निरादर एवं तिरस्कार का संकेत दिखाते।
सभी दोषों से मुक्त,हर समय उपयुक्त, अभिवादन है केवल "नमस्ते"।।

6-छोड़ो यह हाई-बाई,गले मिलना, चुम्बन व हाथ मिलाना,अपनाओ सर्वोत्तम "नमस्ते" जो चला आ रहा सनातन अभिनन्दन आदर,सत्कार,श्रद्धा,प्रेम, सभी सार्थक होते जब "नमस्ते" से हो अभिनन्दन।

केवल "नमस्ते" अभिवादन में ही समाविष्ट इन सभी गुणों के होते हैं दर्शन।।

7-माता-पिता,पति-पत्नी, छोटे-बड़े अथवा हों बहन-भाई।
सेवक-स्वामी,धनी-निर्धन, मित्र,बन्धु अथवा सखा-सहाई।।

8-सभी देश-विदेश,जाति धर्म के लोग मिलें अथवा जब करें पत्राचार।
"नमस्ते" से किया अभिवादन सबके लिए सदा फिट बैठै सभी प्रकार।।

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