गौर करनेवाली बात :
आप कभी रास्ते पे जा रहे हों और अचानक आपके सामने कोई बूढ़ा बुज़ुर्ग या कोई बच्चा गिर जाए और आप तुरंत मदद के लिए दौड़ते हैं. यक़ीनन इस तरह की कोई घटना ज़रूर हुई होगी.
अब प्रश्न यह है कि हम इस तरह की प्रतिक्रिया क्यों करते हैं?
मेरा यह मानना है कि मैं और जो सामने गिर गया 'एक' ही हैं. जब समय या सोच बीच में नहीं आती है तो हम सब एक हैं. हमारी सोच ही हमें अलग करती है और जब समय होता है तो सोच तुरंत जन्म लेती है. समय और सोच ही मेरी 'मैं' को मज़बूत करती है और मैं अपना अलग अस्तित्व मानने लगता हूँ वरना हम सब एक ही हैं.
आप कभी रास्ते पे जा रहे हों और अचानक आपके सामने कोई बूढ़ा बुज़ुर्ग या कोई बच्चा गिर जाए और आप तुरंत मदद के लिए दौड़ते हैं. यक़ीनन इस तरह की कोई घटना ज़रूर हुई होगी.
अब प्रश्न यह है कि हम इस तरह की प्रतिक्रिया क्यों करते हैं?
मेरा यह मानना है कि मैं और जो सामने गिर गया 'एक' ही हैं. जब समय या सोच बीच में नहीं आती है तो हम सब एक हैं. हमारी सोच ही हमें अलग करती है और जब समय होता है तो सोच तुरंत जन्म लेती है. समय और सोच ही मेरी 'मैं' को मज़बूत करती है और मैं अपना अलग अस्तित्व मानने लगता हूँ वरना हम सब एक ही हैं.
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