Sunday, August 30, 2015

 थोड़ा सा कफ़न चेहरे से मेरे,
यारों ज़रा सरका देना |

घुट जाए कहीं न दम मेरा, इतना करम फरमा देना ||

नादाँ समझ कर,ऐ! यारों,
अब माफ़ मुझे तुम कर देना,

फिर लौट कर नहीं आयेंगें,जाकर उन्हें समझा देना ||

पीने की जो आदत है मुझको,
हर शाम बहुत तड़पाएगी,

थोड़ी सी हीं से लाकर के, मैयत पे मेरी छलका देना ||




 किस को देखा है, ये हुआ क्या है
दिल धड़कता है, माजरा क्या है ।

इक मोहब्बत थी, मिट चुकी या रब
तेरी दुनिया में अब धरा क्या है ।





Taras gaye apke deedar ko,
phir bhi dil aap hi ko yaad karta hai,
humse khusnaseeb to apke ghar ka aaina hai,
jo har roz apke husn ka deedar karta hai…

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