"राहत" भी अपनोंसे मिलती हैं, .
"चाहत" भी अपनोंसे मिलती हैं, ..
"अपनोंसे कभी रुठना नहीं, क्योंकी...
"मुस्कुराहट" भी सिर्फ अपनोंसे मिलती हैं....
💞
: तुझ बिन ये जहान विरान सा लगता है
जब भी देखूँ दर्पण , मेरा ही अक्स धुंधला सा लगता है
रूह मेरी मे बसा तू इस कदर , मुझे तू मेरा खुदा सा लगता है
तुझ बिन ये जहान विरान सा लगता है
"चाहत" भी अपनोंसे मिलती हैं, ..
"अपनोंसे कभी रुठना नहीं, क्योंकी...
"मुस्कुराहट" भी सिर्फ अपनोंसे मिलती हैं....
💞
: तुझ बिन ये जहान विरान सा लगता है
जब भी देखूँ दर्पण , मेरा ही अक्स धुंधला सा लगता है
रूह मेरी मे बसा तू इस कदर , मुझे तू मेरा खुदा सा लगता है
तुझ बिन ये जहान विरान सा लगता है
No comments:
Post a Comment