Friday, March 11, 2016

महान विचार:

मैं आपसे शादी करना चाहती हूँ"-
एक विदेशी महिला ने विवेकानंद से
कहा !

विवेकानंद ने पूछा-"क्यों देवी पर मैं तो ब्रह्मचारी हूँ?"

महिला ने जवाब दिया-"क्योंकि मुझे आपके जैसा ही एक पुत्र चाहिए,

जो पूरी दुनिया में मेरा नाम रौशन करे और वो केवल आपसे शादी करके ही मिल सकता है मुझे !

"इसका और एक उपाय है"-
विवेकानंद कहते हैं

विदेशी महिला पूछती है-"क्या?"

विवेकानंद ने मुस्कुराते हुए कहा-"
आप मुझे ही अपना पुत्र मान लीजिये
और आप मेरी माँ बन जाइए, ऐसे में आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल जाएगा और मुझे अपना ब्रह्मचर्य भी नही तोड़ना पड़ेगा"

महिला हतप्रभ होकर विवेकानंद को ताकने लगी और रोने लग गयी !
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ये होती है महान आत्माओ की विचार धारा ।

"पूरे समुंद्र का पानी भी एक जहाज को नहीं डुबा सकता, जब तक पानी को जहाज अन्दर न आने दे।
           
इसी तरह दुनिया का कोई भी नकारात्मक विचार आपको नीचे नहीं गिरा सकता, जब तक आप उसे अपने अंदर आने की अनुमति न दें।"
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एक भिखारी , एक सेठ के घर के बाहर खडा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था |

सेठानी काफ़ी देर से उसको कह रही थी रुको आ रही हूं |

रोटी हाथ मे थी पर फ़िर भी कह रही थी की रुको आ रही हूं |

भिखारी भजन गा रहा था और रोटी मांग रहा था |

सेठ ये सब देख रहा था ,पर समझ नही पा रहा था, आखिर सेठानी से बोला -

रोटी हाथ मे लेकर खडी हो, वो बाहर मांग रहा हैं , उसे कह रही हो आ रही हूं तो उसे रोटी क्यो नही दे रही हो ?

सेठानी बोली हां रोटी दूंगी, पर क्या है ना की मुझे उसका भजन बहुत प्यारा लग रहा हैं , अगर उसको रोटी दूंगी तो वो आगे चला जायेगा , मुझे उसका भजन और सुनना हैं
---
यदि प्रार्थना के बाद भी भगवान आपकी नही सुन रहा हैं तो समझना की उस सेठानी की तरह प्रभु को आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही हैं इस लिये इंतज़ार करो और प्रार्थना करते रहो...

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100 % सत्य ....

एक बकरी के पीछे शिकारी कुत्ते दौड़े। बकरी जान बचाकर अंगूरों की झाड़ी में घुस गयी। कुत्ते आगे निकल गए।

बकरी ने निश्चिंतापूर्वक अँगूर की बेले खानी शुरु कर दी और जमीन से लेकर अपनी गर्दन पहुचे उतनी दूरी तक के सारे पत्ते खा लिए। पत्ते झाडी में नही रहे।

छिपने का सहारा समाप्त् हो जाने पर कुत्तो ने उसे देख लिया और मार डाला!
...

सहारा देने वाले को जो नष्ट करता है , उसकी ऐसी ही दुर्गति होती है।
मनुष्य भी आज सहारा देने वाले पेड़ पौधो, जानवर, गाय, पर्वतो आदि को नुकसान पंहुचा रहा है और इन सभी का परिणाम भी अनेक आपदाओ के रूप में भोग रहा है।

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एक राजा का जन्मदिन था। सुबह
जब वह घूमने निकला, तो उसने तय
किया कि वह रास्ते मे मिलने वाले
पहले व्यक्ति को पूरी तरह खुश व
संतुष्ट करेगा।

उसे एक भिखारी मिला। भिखारी
ने राजा से भीख मांगी, तो राजा ने
भिखारी की तरफ एक तांबे का सिक्का
उछाल दिया। सिक्का भिखारी के
हाथ से छूट कर नाली में जा गिरा।
भिखारी नाली में हाथ डाल तांबे का
सिक्का ढूंढ़ने लगा।राजा ने उसे बुला
कर दूसरा तांबे का सिक्का दिया।
भिखारी ने खुश होकर वह सिक्का
अपनी जेब में रख लिया और वापस
जाकर नाली में गिरा सिक्का ढूंढ़ने लगा।

राजा को लगा की भिखारी बहुत गरीब है, उसने भिखारी को चांदी का एक सिक्का दिया।

भिखारी राजा की जय जयकार करता
फिर नाली में सिक्का ढूंढ़ने लगा।
राजा ने अब भिखारी को एक सोने
का सिक्का दिया।

भिखारी खुशी से झूम उठा और वापस
भाग कर अपना हाथ नाली की तरफ
बढ़ाने लगा।

राजा को बहुत खराब लगा। उसे खुद
से तय की गयी बात याद आ गयी
कि पहले मिलने वाले व्यक्ति को आज
खुश एवं संतुष्ट करना है. उसने
भिखारी को बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें अपना आधा राज-पाट देता हूं, अब तो खुश व संतुष्ट हो?

भिखारी बोला, मैं खुश और संतुष्ट तभी हो सकूंगा जब नाली में गिरा तांबे का सिक्का मुझे मिल जायेगा।
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हमारा हाल भी उस भिखारी जैसा
ही है। हमें सतगुरु ने नाम रूपी
अनमोल खजाना दिया है और हम उसे भूलकर संसार रूपी नाली में तांबे के सिक्के निकालने के लिए जीवन गंवाते जा रहे है।


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