Thursday, March 24, 2016

बचपन में हम बहुत अमीर हुवा करते थे!!

इस बारिश में 2 - 3 जहाज़ हमारे भी चला
करते थे !!

काग़ज़ के ही क्यों नही पर हवा में हमारे भी
विमान उड़ा करते थे !!

मिट्टी - गारे का हि क्यों ना हो हमारे भी
महल क़िल्ले हुवा करते थे !!!

अब कहा रही वो अमिरी
अब कहा रहा वो बचपन .

"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और
"किस्मत" महलों में राज करती है!!

"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
 वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...

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