मै बाहर खड़ा बारिश में उन हसीं लम्हों को याद करता हूँ,
पानी की टपकती बूंदों के बीच उन्ही यादों में फिर खो जाना चाहता हूँ.....
कभी हस्ते थे साथ कभी लड़ा करते थे,
जब उन यादों को समेटने की कोशिश करता हूँ तो थम सा जाता हूँ.....
और आज इस बात का अफ़सोस बना रहा हूँ,
बारिश में खड़े होकर खुद को कम और आँखों को ज्यादा भिगो रहा हूँ.........
पानी की टपकती बूंदों के बीच उन्ही यादों में फिर खो जाना चाहता हूँ.....
कभी हस्ते थे साथ कभी लड़ा करते थे,
जब उन यादों को समेटने की कोशिश करता हूँ तो थम सा जाता हूँ.....
और आज इस बात का अफ़सोस बना रहा हूँ,
बारिश में खड़े होकर खुद को कम और आँखों को ज्यादा भिगो रहा हूँ.........
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