✤ *विचारों का प्रभाव* ✤
✦ जहां पर अग्नि जलती है वहां तीन प्रकार का प्रभाव होता है। एक तो धुआँ बनता है जो वायुमंडल में फैलता है, दूसरा आस पास के वातारण को गरमाहट मिलती है, रोशनी फैलती है तथा जिस पदार्थ से अग्नि जल रही है वह वस्तु नष्ट हो रही है या परिवर्तन हो रही है।
✦ ऐसे ही हमारे सभी विचार जाने अनजाने जो भी हमारे मन में चलते है वह सात प्रकार से प्रभावित करते हैं.....
*1)* जिस व्यक्ति, वस्तु व लक्ष्य के बारे में हम सोचते हैं, हमारे विचार उन्हें प्रभावित करते हैं।
*2)* हमारे सभी विचार हमारे सूक्ष्म संस्कारों में रिकाॅर्ड होते रहते हैं।
*3)* हमारे विचारों से हमारा स्थूल शरीर भी प्रभावित होता है। हमारा शरीर और कुछ नही सिर्फ विचारों का स्थूल रुप है। हर संकल्प तरल रुप में परिवर्तित होता रहता है। यह जो हमारे मुख में थूक बनती है यह भी हमारे विचारो का स्थूल रुप है। अगर हम बुरे विचार करते है तो शरीर बीमारी के रुप से नष्ट होता है। अगर अच्छे विचार करते है तो शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है।
*4)* हमारे जो सब से नज़दीक भाई-बहने या सगे संबधी हैं, चाहे घर मे हैं या बाहर, वे भी हमारे विचारों से प्रभावित होते हैं।
*5)* हमारे विचार उनको भी प्रभावित करते हैं जिनके हम पूर्वज रहे हैं। पूरे 84 जन्मों में जो हमारे माँ-बाप थे, सास-ससुर, पति- पत्नी या बेटा - बेटी थे उनके हम पूर्वज कहलाते हैं। वे लोग चाहे अब कहीं भी भिन्न-भिन्न जन्मों में हैं और हम नहीँ जानते वे कहां हैं तो भी हमारा हर संकल्प अनजाने में उनको भी पहुँचता हैं और वह उसी अनुसार प्रेरित होते हैं।
*6)* जिन लोगो के हम मुखिया हैं जैसे परिवार, समूह, संघ, ऑफिस, दुकान, व्यापार, टीचर, प्रशासक, नेता, मालिक, कर्मचारी, पुजारी वा संस्था के मुखिया रुप में कहीं ना कहीं वे सब लोग भी हमारे विचारों से प्रभावित होते हैं।
*7)* हमारे वर्तमान परिवार के लोगो पर हमारे विचारों का तुरंत प्रभाव पड़ता है। जिसे हम शांति व आशांति के रुप में महसूस करते हैं।
✦ अभी संसार नहीं बदल रहा है तो उसका कारण और कुछ नहीं सिर्फ यही है कि हम मन से नहीं बदले हैं। हम सिर्फ बोलते अच्छा है मन से वैसे नहीं हैं इसलिये लोग भी बोलते अच्छा है और करते उल्टा है।
✦ एक टीचर स्कूल में बच्चों को बीड़ी ना पीने का प्रचार करता था। उसका सारे स्कूल में बहुत मान था। एक दिन उसने देखा कि कुछ बच्चे छिप कर बीड़िया पी रहे थे। वह दुखी था परंतु गहराई से सोचने पर उस ने पाया कि वे खुद छिप कर बीड़ी पीते थे।
✦ याद रखें कि आपका जीवन औरों के लिए प्रेरणा दायक है। लोग वह बनते है जो आप वास्तव में है, ना कि वह जो आप बोलते वा सिखाते हैं। आपके नकारात्मक संस्कार भी सभी पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यदि आप डरपोक है, आलसी है, स्वार्थी है, पक्षपाती है या फिर केवल प्रचारक हैं योगी नही, क्रोधी है शांत नही, ईर्ष्यालु हैं स्नेही वा सहयोगी नही है, तो आपको मानने वाले वही बनेंगे जो आप वास्तव में हैं...चाहे आप कितना भी स्वयं को छिपा लें।
✦ इसलिए अपने मूल गुणों शांति, प्रेम, सुख, आनद के संकल्पों में रहिए क्योंकि बिना जाने भी लोग आपके विचारों के माध्यम से आप से प्रभावित हो रहे हैं। आपके शुद्ध सात्विक विचारों की खुशबू सारे वातावरण को महकाती है। यह भी महान सेवा है।
✦ जहां पर अग्नि जलती है वहां तीन प्रकार का प्रभाव होता है। एक तो धुआँ बनता है जो वायुमंडल में फैलता है, दूसरा आस पास के वातारण को गरमाहट मिलती है, रोशनी फैलती है तथा जिस पदार्थ से अग्नि जल रही है वह वस्तु नष्ट हो रही है या परिवर्तन हो रही है।
✦ ऐसे ही हमारे सभी विचार जाने अनजाने जो भी हमारे मन में चलते है वह सात प्रकार से प्रभावित करते हैं.....
*1)* जिस व्यक्ति, वस्तु व लक्ष्य के बारे में हम सोचते हैं, हमारे विचार उन्हें प्रभावित करते हैं।
*2)* हमारे सभी विचार हमारे सूक्ष्म संस्कारों में रिकाॅर्ड होते रहते हैं।
*3)* हमारे विचारों से हमारा स्थूल शरीर भी प्रभावित होता है। हमारा शरीर और कुछ नही सिर्फ विचारों का स्थूल रुप है। हर संकल्प तरल रुप में परिवर्तित होता रहता है। यह जो हमारे मुख में थूक बनती है यह भी हमारे विचारो का स्थूल रुप है। अगर हम बुरे विचार करते है तो शरीर बीमारी के रुप से नष्ट होता है। अगर अच्छे विचार करते है तो शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है।
*4)* हमारे जो सब से नज़दीक भाई-बहने या सगे संबधी हैं, चाहे घर मे हैं या बाहर, वे भी हमारे विचारों से प्रभावित होते हैं।
*5)* हमारे विचार उनको भी प्रभावित करते हैं जिनके हम पूर्वज रहे हैं। पूरे 84 जन्मों में जो हमारे माँ-बाप थे, सास-ससुर, पति- पत्नी या बेटा - बेटी थे उनके हम पूर्वज कहलाते हैं। वे लोग चाहे अब कहीं भी भिन्न-भिन्न जन्मों में हैं और हम नहीँ जानते वे कहां हैं तो भी हमारा हर संकल्प अनजाने में उनको भी पहुँचता हैं और वह उसी अनुसार प्रेरित होते हैं।
*6)* जिन लोगो के हम मुखिया हैं जैसे परिवार, समूह, संघ, ऑफिस, दुकान, व्यापार, टीचर, प्रशासक, नेता, मालिक, कर्मचारी, पुजारी वा संस्था के मुखिया रुप में कहीं ना कहीं वे सब लोग भी हमारे विचारों से प्रभावित होते हैं।
*7)* हमारे वर्तमान परिवार के लोगो पर हमारे विचारों का तुरंत प्रभाव पड़ता है। जिसे हम शांति व आशांति के रुप में महसूस करते हैं।
✦ अभी संसार नहीं बदल रहा है तो उसका कारण और कुछ नहीं सिर्फ यही है कि हम मन से नहीं बदले हैं। हम सिर्फ बोलते अच्छा है मन से वैसे नहीं हैं इसलिये लोग भी बोलते अच्छा है और करते उल्टा है।
✦ एक टीचर स्कूल में बच्चों को बीड़ी ना पीने का प्रचार करता था। उसका सारे स्कूल में बहुत मान था। एक दिन उसने देखा कि कुछ बच्चे छिप कर बीड़िया पी रहे थे। वह दुखी था परंतु गहराई से सोचने पर उस ने पाया कि वे खुद छिप कर बीड़ी पीते थे।
✦ याद रखें कि आपका जीवन औरों के लिए प्रेरणा दायक है। लोग वह बनते है जो आप वास्तव में है, ना कि वह जो आप बोलते वा सिखाते हैं। आपके नकारात्मक संस्कार भी सभी पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यदि आप डरपोक है, आलसी है, स्वार्थी है, पक्षपाती है या फिर केवल प्रचारक हैं योगी नही, क्रोधी है शांत नही, ईर्ष्यालु हैं स्नेही वा सहयोगी नही है, तो आपको मानने वाले वही बनेंगे जो आप वास्तव में हैं...चाहे आप कितना भी स्वयं को छिपा लें।
✦ इसलिए अपने मूल गुणों शांति, प्रेम, सुख, आनद के संकल्पों में रहिए क्योंकि बिना जाने भी लोग आपके विचारों के माध्यम से आप से प्रभावित हो रहे हैं। आपके शुद्ध सात्विक विचारों की खुशबू सारे वातावरण को महकाती है। यह भी महान सेवा है।
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