: इतने कमज़ोर हुए तेरी जुदाई में;
जर्रा गौर फर्रमाँइए,
इतने कमज़ोर हुए तेरी जुदाई में;
कि चींटी भी अब खींच ले जाती है 'चारपाई' से.
: होठों को छुआ उसने तो, एहसास अब तक है;
आंखे नम हुई तो सांसो में आग अब तक है;
वक़्त गुजर गया, पर उसकी याद नही गई;
क्या कहूं, हरी मिर्च का स्वाद अब तक है.
ए मौत..
"तू कभी आए तो यूँ चुपके से आ जाना, के
मेरे दोस्तो को ना पता चले..
वरना..
साले सारे कमीने है,
उसकी भी पार्टी माँग लेंग
जर्रा गौर फर्रमाँइए,
इतने कमज़ोर हुए तेरी जुदाई में;
कि चींटी भी अब खींच ले जाती है 'चारपाई' से.
: होठों को छुआ उसने तो, एहसास अब तक है;
आंखे नम हुई तो सांसो में आग अब तक है;
वक़्त गुजर गया, पर उसकी याद नही गई;
क्या कहूं, हरी मिर्च का स्वाद अब तक है.
ए मौत..
"तू कभी आए तो यूँ चुपके से आ जाना, के
मेरे दोस्तो को ना पता चले..
वरना..
साले सारे कमीने है,
उसकी भी पार्टी माँग लेंग
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